नई दिल्ली. कानून शिक्षा, रोजगार समेत हर क्षेत्रों में दलितों को आरक्षण देने वाली केंद्र सरकार ने कितने दलितों को अपने सचिवों की सूची में शामिल किया है. 2019 में केंद्र की सत्तासीन मोदी सरकार ने 89 सचिवों की नियुक्ति (Secretaries in Modi government) की थी. हैरानी वाली बात ये है कि 89 सचिवों की लिस्ट में महज 3 दलितों वर्ग की नियुक्ति हुई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इन 89 सचिवों में से एक भी व्यक्ति अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से नहीं है. संसद में एक प्रश्न का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि इस सूची में शामिल ज्यादातर सचिव भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से हैं. आंकड़े बताते हैं कि इस लिस्ट में सिर्फ एख एससी और 3 एसटी का नाम शामिल है. केंद्र सरकार के कुल 275 संयुक्त सचिवों में से सिर्फ 13 सचिव एससी, 09 सचिव एसटी और 19 सचिव ओबीसी वर्ग से हैं.
क्या कहते हैं अतिरिक्त सचिव के आंकड़ें?
सचिवों के अलावा अगर केंद्र सरकार के मंत्रालयों में तैनात 93 अतिरिक्त सचिवों के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि यहां भी ओबीसी समुदाय के लोगों की नियुक्ति नहीं हुई है. 6 लोग एससी और 5 लोग एसटी समुदाय से हैं. 2019 में आए आंकड़ों में यह स्पष्ट किया गया है कि एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव, निदेशक स्तर पर काफी कम है. जानकारों का मानना है कि केंद्र सरकार में कई अहम पद खाली हैं, लेकिन एससी, एसटी, ओबीसी समुदाय के लोगों के पास इस बात की जानकारी ही नहीं है.
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एससी, एसटी और ओबीसी की कितना आरक्षण?
ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के बाद से केंद्र सरकार द्वारा सरकार पदों पर तैनात एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय के अधिकारियों का आंकड़ा रखा जा रहा है. वर्तमान में सरकारी नौकरियों में ओबीसी के लिए 27.5 फीसदी, एससी के लिए 15 फीसदी और एसटी के लिए 7.5 फीसदी आरक्षण मिलना अनिवार्य है.
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हालांकि भारत सरकार में केंद्रीय कर्मचारी योजना के तहत नियुक्त किए गए 288 निदेशक हैं, लेकिन इसमें से एससी समुदाय से सिर्फ 31 लोग (10.76 फीसदी), एसटी समुदाय से 12 लोग (4.17 फीसदी) और ओबीसी समुदाय से 40 लोग (13.86 फीसदी) हैं.