लखनऊ : उत्तर प्रदेश लोक सेवाओं (Uttar Pradesh Public Services) में दिव्यांगजनों (Reservation for Handicapped People) को 21 श्रेणियों में चार प्रतिशत आरक्षण (Reservation) मिलेगा. इसके लिए नये सिरे से शासनादेश जारी होगा. बुधवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गई.
राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बुधवार को मंत्रिपरिषद के इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि 1996 में राज्य के अंदर दिव्यांगजनों के लिए सात श्रेणियां बनी थीं, जिसे 2016 में बढ़ाकर 21 कर दिया गया. 1996 में हर विभाग में दिव्यांगजनों को तीन प्रतिशत आरक्षण मिलता था, लेकिन 2016 में इसे बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया गया. इसके बाद 2019 में राज्य सरकार ने सीधे आरक्षण (Reservation) के प्रावधान के लिए सभी 68 विभागों में समूह क, ख, ग एवं घ में किस श्रेणी के कितने पद होने चाहिए, इसके लिए एक समिति बनाई. समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी.
उन्होंने कहा कि चूंकि अभी तक 2011 में जारी शासनादेश के अनुसार सात श्रेणियों में ही आरक्षण की व्यवस्था थी इस वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपेक्षा के अनुरूप दिव्यांगजनों (Reservation for Handicapped People) को लाभ नहीं मिल पा रहा था. दिव्यांगताएं सात प्रकार से बढ़ाकर 21 प्रकार की कर दी गई हैं, जिसे नव परिभाषित 21 प्रकार की दिव्यांगताओं में से अंध और निम्न दृष्टि, बधिर और श्रवण शक्ति में ह्रास, चलन दिव्यांगता, जिसके अन्तर्गत प्रमस्तिष्क घात, रोगमुक्त कुष्ठ, बौनापन, एसिड हमला पीड़ित, बौद्विक दिव्यांगता, विशिष्ट अधिगम दिव्यांगता और मानसिक अस्वस्थता जैसी दिव्यांगताओं को लोक सेवा में आरक्षण का लाभ प्रदान किये जाने हेतु सम्मिलित किया गया है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इसका शासनादेश जारी कर दिया जाएगा.
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(इनपुट भाषा से)