लॉउडाउन में लावारिस दलित महिला की हुई मौत, बेटे बन गए पुलिसवाले, कंधा देकर किया अंतिम संस्कार

Saharanpur-Police

कोरोना वायरस (Covid 19) महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक भावुक पल देखने को मिला. यहां सहारनपुर पुलिस ने उस वक्‍त लोगों का दिल जीता, जब एक लावारिस दलित महिला की मौत होने पर पुलिसवालों ने बेटे का फर्ज निभाकर अंतिम संस्कार किया. वर्दीवालों ने महिला के पाथिव शरीर को कंधा देते हुए अंतिम यात्रा भी निकाली.

बताया जा रहा है कि यूपी पुलिस (UP Police) के इस मानवीय चेहरे के पीछे 2009 बैच के आईपीएस और जिले के एसएसपी दिनेश कुमार की अहम भूमिका रही. जब महिला को पुलिस के कंधा देने वाली तस्वीरें वायरल हुईं तो मुख्यमंत्री सूचना सेल ने भी इसकी जमकर तारीफ की. सूचना सेल की तरफ से कहा गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के अनुरूप लॉकडाउन के दौरान पुलिस का मानवीय और संवेदनशील पक्ष उजागर हुआ.

दरअसल, यह मामला बड़गांव थाने के किशनपुर गांव का है. गांव के दलित परिवार की वृद्ध मीना के पति हरिया की 4 साल पहले मौत हो गई थी. महिला के परिवार में और कोई नहीं था. महिला कई महीने से बीमार चल रही थी. खबर मिलने पर सहारनपुर पुलिस ने मंगलवार को ही मीना को नानौता के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था. इलाज के दौरान महिला की मौत हुई तो अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था. इस पर थाने के एसएसआई दीपक चौधरी, सिपाही गौरव और विनोद ने बेटे का फर्ज निभाते हुए महिला को कंधा दिए. पुलिस ने गांववालों के सहयोग से महिला का अंतिम संस्कार किया.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कांशीराम के अनमोल विचार… संयुक्‍त राष्‍ट्र में ‘दलित छात्रा’ ने बढ़ाया ‘भारत का मान’ शूरवीर तिलका मांझी, जो ‘जबरा पहाड़िया’ पुकारे गए खुशखबरी: हर जिले में किसान जीत सकते हैं ट्रैक्‍टर जब कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर वाल्‍मीकि नेताओं ने किया Dr. BR Ambedkar का विरोध सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बीआर आंबेडकर की मुलाकात Dr. Ambedkar Degrees : डॉ. आंबेडकर के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं ‘धनंजय कीर’, जिन्होंने लिखी Dr. BR Ambedkar की सबसे मशहूर जीवनी कांशीराम के अनमोल विचार व कथन जो आपको पढ़ने चाहिए जब पहली बार कांशीराम ने संसद में प्रवेश किया, हर कोई सीट से खड़ा हो गया डॉ. आंबेडकर के पास थीं 35000 किताबें…