मिशन आंबेडकर सिंघु बॉर्डर पर दलित लखबीर की हत्‍या केस को लेकर UN मानवाधिकार उच्‍चायुक्‍त ऑफिस तक पहुंचा

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नई दिल्‍ली : बीते शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर दलित व्‍यक्ति लखबीर सिंह (Dalit Lakhbir Singh) की बर्बरता से हुई हत्या के मामले को संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार उच्‍चायुक्‍त कार्यालय (OHCHR) के समक्ष उठाया गया है. बता दें कि दलित लखबीर की हत्‍या (Dalit Lakhbir Singh Murdered) कर उसका क्षत-विक्षत शव बैरिकेड पर लटकाए जाने के मामले को लेकर सामाजिक संगठन मिशन आंबेडकर (Mission Ambedkar) ने OHCHR को शिकायती पत्र लिखकर कहा है कि मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन और जाति आधारित नृशंस हत्या के इस गंभीर मामले पर तुरंत संज्ञान लिया जाए.

सामाजिक संगठन मिशन आंबेडकर (Mission Ambedkar) के संस्‍थापक सूरज कुमार बौद्ध (Suraj Kumar Bauddh) ने रविवार को संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार उच्‍चायुक्‍त कार्यालय को यह पत्र लिखकर कहा कि १५ अक्टूबर २०२१ को नई दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर एक ३५ वर्षीय दलित मजदूर की निहंग समूह निर्वेर खालसा-उड़ना दल के लोगों ने कथित तौर पर इसलिए लिंचिंग की गई, क्योंकि उसने सिखों की धार्मिक किताब को छुआ था. उसकी इतनी बेरहमी से हत्या कर दी गई कि न केवल उसका एक हाथ और एक पैर को बेरहमी से कुल्हाड़ी से काट दिया गया, बल्कि आतंक फैलाने के लिए पुलिस के बैरिकेड्स पर सार्वजनिक रूप से उसे लटका दिया गया. इस घटना ने दहशत का माहौल पैदा कर दिया है.

 

उन्‍होंने पत्र में कहा, एक दलित शख्‍स के साथ हुई इस बर्बरता ने पूरे भारत में एससी/एसटी (SC/ST) के विवेक और आत्मविश्वास को हिला दिया है. उन्‍होंने आरोप लगाते हुए कहा क‍ि सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और गृह विभाग जैसे संवैधानिक तंत्र सहित राज्य की पुलिस मशीनरी ने हमेशा की तरह काम नहीं किया. सूरज कुमार बौद्ध ने पत्र में कहा कि इस घटना में कई लोग आपराधिक रूप से शामिल हैं, जिसके परिणामस्वरूप राज्य की कानून और व्यवस्था की मशीनरी विफल हो गई है. जातिवाद के कारण दक्षिण एशिया विशेष रूप से भारत अनुसूचित और अन्य निचली जातियों, समुदायों के लिए अपमान, मौत का बिस्तर और गैस चैंबर बन गया है. पत्र में उनकी तरफ से आगे कहा गया कि भारत में अनुसूचित जातियों और उत्पीड़ित समुदायों के मानवाधिकारों का न केवल घोर हनन हो रहा है, बल्कि उनकी हत्या की जा रही है और उनकी महिलाओं के साथ नियमित रूप से बलात्कार किए जा रहे हैं.

उन्‍होंने सिंघु बॉर्डर की घटना को लेकर कहा कि यह जाति आधारित अत्याचार (Caste Based Atrocities) का मुद्दा है, जिसका एक जातीय मूल है, वंश श्रेष्ठता, हीनता की धारणा और एक नस्लीय पृष्ठभूमि है. लिहाजा, ओएचसीएचआर जो किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र के इस निकाय को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए. उन्‍हें मामले की स्थिति का पता लगाने के लिए अपनी टीम को तैनात करना चाहिए, बिना किसी पूर्वाग्रह के प्रभावी तंत्र और उपाय सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के साथ जुड़ना चाहिए. उनकी ओर से इस केस पर जल्‍द प्राथमिकता के आधार पर गौर करने के अनुरोध के साथ अंतरराष्ट्रीय एकजुटता, तत्काल संज्ञान और स्थिति के समाधान का अनुरोध भी किया गया है.

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