Dr BR Ambedkar का हिंदू धर्म में जातिगत असमानता पर अहम तर्क

Dr. BR Ambedkar on caste inequality in Hinduism

~डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar)

हिन्दू समाज एक मीनार की तरह है, जिसमें बिना सीढ़ी या प्रवेश द्वार के कई मंजिले हैं. जो आदमी निचली मंजिल में पैदा हुआ है, वह ऊपरी मंजिल में प्रवेश नहीं कर सकता, चाहे वह कितना भी योग्य क्यों न हो और जो आदमी ऊपरी मंजिल में पैदा हुआ है, उसे निचली मंजिल में नहीं भेजा जा सकता, चाहे वह कितना भी अयोग्य क्यों न हो.

इसका स्पष्ट मतलब यह है कि जातियों में असमानता की भावना व्यक्तियों के गुण या अवगुण पर आधारित नहीं है. उच्च जाति में जन्म लेने वाला व्यक्ति, चाहे वह कितना भी अयोग्य क्यों न हो, हमेशा उच्च माना जाता है, जबकि निम्न जाति में पैदा हुआ व्यक्ति, चाहे वह कितना भी मेधावी क्यों न हो, हमेशा नीचा ही माना जाएगा.

बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) ने यह विचार “मूकनायक” पाक्षिक के पहले अंक में व्‍यक्‍त किए थे. यह अंक 31 जनवरी 1920 को प्रकाशित हुआ था, जिसका संवाद बाबासाहेब आंबेडकर ने अभिप्राय नाम से लिखा था..

ये भी पढ़ें- डॉ. आंबेडकर के पास थीं 35000 किताबें, वो इन्‍हें किसी को पढ़ने को क्‍यों नहीं देते थे?

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कांशीराम के अनमोल विचार… संयुक्‍त राष्‍ट्र में ‘दलित छात्रा’ ने बढ़ाया ‘भारत का मान’ शूरवीर तिलका मांझी, जो ‘जबरा पहाड़िया’ पुकारे गए खुशखबरी: हर जिले में किसान जीत सकते हैं ट्रैक्‍टर जब कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर वाल्‍मीकि नेताओं ने किया Dr. BR Ambedkar का विरोध सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बीआर आंबेडकर की मुलाकात Dr. Ambedkar Degrees : डॉ. आंबेडकर के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं ‘धनंजय कीर’, जिन्होंने लिखी Dr. BR Ambedkar की सबसे मशहूर जीवनी कांशीराम के अनमोल विचार व कथन जो आपको पढ़ने चाहिए जब पहली बार कांशीराम ने संसद में प्रवेश किया, हर कोई सीट से खड़ा हो गया डॉ. आंबेडकर के पास थीं 35000 किताबें…