पंजाब (Punjab) के संगरूर (Sangrur ) में दलित महिलाएं (Dalit Women) अपने हक़ के लिए आवाज़ उठा रही हैं. कई सालों तक घूंघट के पीछे रहने के बाद अब स्थानीय दलित (Dalit) महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए खड़े होना शुरू कर दिया है और एक ऐसे आंदोलन की शुरुआत कर दी है, जिसका हक़ उन्हें कानून देता है.
दरअसल, ये महिलाएं उच्च जातियों और पंचायत विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए गांव में सालाना पट्टे पर 33 प्रतिशत आरक्षित सामान्य भूमि की मांग कर रही हैं.
इस आंदोलन में शामिल कुलारा गांव (Kulara Village) की निक्की कौर ने कहा, “यह हमारे स्वाभिमान की लड़ाई है. पांच से छह साल पहले, अधिकांश गांवों में, ऊंची जातियां, जिन्होंने अपने दलित नौकरों के नाम पर जमीन ली थी, आरक्षित भूमि पर खेती करेंगी. जब भी पशुओं के लिए चारा लेने के लिए दलितों को सड़क के किनारे जाना पड़ा तो दलितों को अपमान का सामना करना पड़ा, लेकिन अब भूमिहीन बने रहने की इच्छा नहीं है.”
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ज़मीन प्राप्ति संघर्ष समिति (Zameen Prapti Sangharash Committee) की जोनल सेक्रेटरी परमजीत कौर ने कहा कि वे जिले के लगभग 50 गांवों में दलितों के लिए आरक्षित ज़मीन के लिए संघर्ष कर रही हैं.
कौर आगे कहती हैं, “इस साल महिलाएं बड़ी संख्या में आई हैं और उनके समर्थन से हमने 33 गांवों में दलितों के लिए आरक्षित भूमि प्राप्त करने में सफलता हासिल की है.”
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एक अन्य महिला ने कहा कि, “कई गांवों में, हमने संयुक्त खेती के माध्यम से साबित किया है कि आरक्षित भूमि दलितों की मदद कर सकती है.”
जिला खजांची, क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन, पंजाब की जिला खचांजी बिमल कौर ने कहा वे जिले के 40 गांवों में काम कर रहे हैं और 33 गावों में दलितों को ज़मीन आवंटित की गई है.
लिहाज़ा दलित महिलाओं का अपने हक के लिए उठ खड़ा होना, हर महिला को अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने की सीख देना साबित हो रहा है.
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