DalitAwaaz.com पर देश के सफल दलितों (Successful Dalits) की इस श्रृंखला में हम आपको बता रहे हैं कि उन दलित (Dalit) शख्सियतों के बारे में, जिन्होंने समाज में सामाजिक, आर्थिक भेदभाव के बावजूद देश-दुनिया में अपनी एक पहचान बनाई. वह अपनी काबिलियत के दम पर उच्च पदों पर जाकर बैठे और सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत बने.
इस कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के पहले दलित मुख्यमंत्री (First Dalit CM of India) के बारे में…
दरअसल, हम सभी मानते हैं कि मायावती देश की पहली दलित मुख्यमंत्री (Dalit CM) थीं, लेकिन हम तथ्यात्मक देखें तो बसपा सुप्रीमो मायावती देश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री थीं न की दलित मुख्यमंत्री.
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हम आपको बताते हैं देश के पहले दलित सीएम के बारे में. ये थे दामोदरम संजीवय्या (Damodaram Sanjivayya).
दामोदरम संजीवय्या 11 जनवरी 1960 से लेकर 12 मार्च 1962 तक आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के मुख्यमंत्री रहे. संजीवय्या एक भारतीय राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री थे.
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दामोदरम संजीवय्या का जन्म 14 फरवरी 1921 को कुरनूल जिले के कल्लूर मंडल के पेद्दापडु गांव में एक माला परिवार में हुआ. जब वह छोटे थे तो उनके पिता की मृत्यु हो गई. वह म्यूनिसिपल स्कूल में एक शानदार छात्र थे और उन्होंने मद्रास लॉ कॉलेज से कानून में स्नातक की डिग्री ली. एक छात्र के रूप में भी उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया.
दामोदरम संजीवय्या समग्र मद्रास राज्य में मंत्री थे. वह 1950-52 में अनंतिम संसद के सदस्य थे. 1962 में, संजीवैया भी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (All India Congress Committee) के अध्यक्ष बनने वाले आंध्र प्रदेश के पहले दलित नेता बने. वह 9 जून 1964 और 23 जनवरी 1966 के बीच लाल बहादुर शास्त्री के अधीन श्रम और रोजगार मंत्री थे.
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उन्होंने भारत में श्रम समस्याओं और औद्योगिक विकास पर एक पुस्तक लिखी, जोकि 1970 में ऑक्सफोर्ड और आईबीएच पब्लिशिंग कंपनी, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित की गई.
हैदराबाद के नामपल्ली में सार्वजनिक उद्यान के सामने उनकी प्रतिमा लगाई गई है. वहीं, हैदराबाद में हुसैन सागर के तट पर एक पार्क को संजीवैया पार्क के रूप में उनके सम्मान में नामित किया गया.
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दामोदरम संजीवय्या राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, देश के प्रमुख कानूनी संस्थानों में से एक विशाखापत्तनम को उनके सम्मान में नामित किया गया है.
इंडिया पोस्ट ने 14 फरवरी 2008 को उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट (INR 5.00) जारी किया.
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