दिल्ली की एक अदालत ने एससी/एसटी एक्ट (SC/ST ACT) के तहत एक सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है. अदालत ने नोटिस के बावजूद अदालत में पेश होने में नाकाम रहने और एक आपराधिक मामले में कथित तौर पर एकतरफा जांच करने के तहत पुलिस अफसर पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोनू अग्निहोत्री ने एसीपी बिजेन्द्र सिंह, जोकि आपराधिक मामले के जांच अधिकारी थे, के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस (Delhi Police) पश्चिमी रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया और वरिष्ठ अधिकारी को 13 अप्रैल को एक अनुपालन रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा. साथ ही कोर्ट ने संयुक्त आयुक्त को अदालत की टिप्पणियों के मद्देनजर मामले को ठीक से जांचने करने को भी कहा.
अदालत ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम Scheduled Caste/Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act की धारा 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए जो एक लोक सेवक द्वारा कर्तव्यों की जानबूझकर उपेक्षा के लिए सजा से संबंधित है.
यह आपराधिक मामला एक आवासीय क्षेत्र में पार्किंग विवाद से संबंधित है, जो पिछले साल जुलाई में हुआ था.
शिकायतकर्ता द्वारा इस आपराधिक मामले में दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि एसीपी बिजेन्द्र सिंह ने मामले की निष्पक्ष जांच नहीं की और उन्होंने उसके पैतृक गांव में दिल्ली पुलिस के दो सिपाहियों सहित विभिन्न व्यक्तियों को भेजा था, जिसमें एक वकील भी था, ताकि वे उस पर अपनी शिकायत वापस लेने का दबाव डालें.
अदालत ने कहा कि एसीपी पर अपनी जिम्मेदारियों को दूसरों को सौंपने का आरोप लगाया गया है, जो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) के नियम 7 का स्पष्ट उल्लंघन है. इसके तहत अब मामले की जांच एक पुलिस अधिकारी द्वारा की जाएगी, जोकि पुलिस उपाधीक्षक के स्तर से नीचे न हो. अदालत ने टिप्पणी में कहा कि यह भी देखा गया कि एसीपी ने अन्य अधिकारियों के साथ एकतरफा पूछताछ की और आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार करने में विफल रहे.