Today’s Dalit History (24th February) | आज का दलित इतिहास (24 फरवरी) : 24 फरवरी 1944 को बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर (Baba Saheb Dr. BR Ambedkar) ने सर रेजिनाल्ड मैक्सवेल (Sir Reginald Maxwell) (1938 से 1944 तक गवर्नर-जनरल की कार्यकारी परिषद के गृह सदस्य) को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में Dr.BR Ambedkar ने गौतम बुद्ध के जन्मदिन (Gautam Buddha Birthday) पर भारत में सामान्य अवकाश घोषित करने (Declaring a general holiday in India on Birthday of Gautam Buddha) का मामला उठाया था.
बाबा साहेब (Baba Saheb) द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया था, “मैं यह सुझाव देने का साहस करूंगा कि छुट्टियों के निर्धारण के लिए लोगों की संख्या एक आवश्यक या पर्याप्त मानदंड नहीं है, और न ही यह कहा जा सकता है कि जनसंख्या सरकार द्वारा अपनाया गया मानदंड रही है. गौतम बुद्ध का जन्मदिन (Gautam Buddha Birthday) भारत के इतिहास की सबसे बड़ी घटना है. उनका धर्म 434 ईसा पूर्व से भारत का प्रमुख धर्म बना रहा. लगभग 1200 ईस्वी तक एक ऐसा धर्म जो भारत के लोगों के जीवन पर 1700 वर्षों तक राज करता रहा, भारत की चीजों पर गहरी छाप छोड़ सका”.
बाबा साहब ने लिखा, हिन्दू जीवन का कोई विभाग ऐसा नहीं है, जिस पर बुद्ध की शिक्षाओं (Teachings of Gautam Buddha ) का गहरा प्रभाव न पड़ा हो. क्योंकि इस देश के लोगों पर उसकी पकड़ इतनी अधिक थी कि हिंदू उसे विष्णु के अवतार के रूप में स्वीकार करते हैं.
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डॉ. आंबेडकर (Dr. Ambedkar) ने कहा था, “ऐसा नहीं है कि बुद्ध के जन्मदिन पर छुट्टी (Holiday on Gautam Buddha’s Birthday) का स्वागत केवल बौद्ध और हिंदू ही करेंगे, मुझे यकीन है कि दुनिया भर में इसकी सराहना की जाएगी, क्योंकि बुद्ध को सार्वभौमिक रूप से पहले और सबसे प्रमुख पैगंबर के रूप में मान्यता प्राप्त है. पृथ्वी पर शांति और मनुष्य के लिए सद्भावना की उनकी शिक्षा अहम है. बुद्ध का धर्म (Buddha Religion)अभी भी एशिया, चीन, बर्मा, भारत-चीन का प्रमुख धर्म बना हुआ है और व्यावहारिक रूप से पूरा मलय द्वीपसमूह (Malay Archipelago) अभी भी उनके धर्म का पालन करता है. मुझे यकीन है कि भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में उनके जन्मदिन की घोषणा बहुत महत्व रखता है.”