केरल से इस गांव में दलित नहीं कटवा सकते बाल, उच्‍च जाति ने लगाया बैन

Kerala IDUKKI Vattavada village, Dalits aren't allowed to get haircut

इडुक्की (IDUKKI): रमन (बदला हुआ नाम) के पास एक प्रतिष्ठित डिग्री और एक प्रतिष्ठित निजी कंपनी की नौकरी है, लेकिन यह उसके लिए पर्याप्त नहीं है कि वह अपने गांव की किसी भी नाई की दुकान पर अपने बाल कटवा सके. इसकी वजह है उच्च जाति के लोगों द्वारा सैलून यानि नाई की दकानों में दलितों (Dalits) के बाल कटवाने पर लगाया गया बैन. दरअसल, रमन चक्कलिया समुदाय (Chakkliya community) के हैं.

इडुक्की में पश्चिमी घाट के वर्षा क्षेत्र में स्थित एक गांव वटावदा में उच्च जाति के लोगों ने दलितों पर सैलून में सेवाओं की पहुंच पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. यानि वे बाल नहीं कटवा सकते, दाढ़ी वगैरह भी नहीं बनवा सकते.

newindianexpress की एक रिपोर्ट ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि, “गांव में नाइयों पर उच्च जाति द्वारा दबाव बनाया गया है”.

रिपोर्ट के अनुसार, तमिलवासियों के प्रभुत्व वाले इस क्षेत्र वटावदा में यह प्रथा आम है, पड़ोसी तमिलनाडु में प्रचलित प्राचीन रीति-रिवाजों का यहां अधिक पालन किया जाता है. यहां तक ​​कि शायद ही दलित भी इसके खिलाफ कोई आवाज उठाते हैं.

हाल ही में गांव के कुछ दलित युवाओं ने पंचायत अधिकारियों को इस तरह के भेदभाव के बारे में शिकायत करने का फैसला किया, लेकिन नाइयों ने दलितों को किसी भी तरह की सेवा देने से मना करना जारी रखा और कहा कि वे दलितों के बाल काटने की बजाय अपनी दुकानें बंद करना पसंद करेंगे. आखिरकार, पांच महीने पहले वटावदा में दो नाई की दुकानें पंचायत अधिकारियों द्वारा बंद करा दी गईं.

अभी गांव के दलित पुरुष पास के शहरों मुन्नार या एलापेट्टी में अपने बालों को कटवाते हैं.

इससे पहले, वटावदा में चाय की दुकानों पर दलितों के लिए नारियल के खोल में भोजन परोसने या उनके लिए अलग टंबलर जैसी विचित्र प्रथाएं मौजूद थीं. स्थानीय राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के संयुक्त प्रयासों की बदौलत 1990 तक उन प्रथाओं को समाप्त कर दिया गया.

वटावदा में चक्कलिया समुदाय के 270 परिवारों की आबादी रहती है और बाकी मन्नडियार, मारवार, थेवर और चेट्टियार समुदायों के हैं.

वटावदा पंचायत के अध्यक्ष रामराज ने कहा कि “निचली जाति के पुरुषों के अलग-अलग सैलून में बाल काटने की प्रथा वटावदा में लगभग एक सदी से है. हालांकि कुछ दलित युवाओं के अनुरोध के बाद हमने हाल ही में समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक बुलाई, ताकि इस मुद्दे पर फैसला किया जा सके, लेकिन नाइयों की राय थी कि वे चक्कलिया समुदाय के लोगों के बाल नहीं काटेंगे. इसके बाद दुकानें बंद कर दी गईं.

भेदभाव को रोकने के लिए, रामराज ने कहा कि पंचायत जल्द ही कोविलूर में बस स्टैंड के पास एक सार्वजनिक सैलून खोलेगी, जहां सभी समुदायों के पुरुष अपने बाल कटवा सकते हैं. हालांकि उच्च-जाति के पुरुषों का सार्वजनिक सैलून से दूर रहने का मुद्दा अभी भी एक सवाल बना हुआ है. रामराज ने कहा कि सवर्ण जातियों के लोग जिनमें वह भी शामिल हैं, सैलून में अपने बाल कटवा लेंगे, ताकि यह दूसरों के लिए यह एक मॉडल बन सके.

इसके अलावा, पंचायत ने सैलून में वटावदा में नाई समुदाय से प्रगतिशील सोच के साथ एक नाई को नियुक्त करने का भी फैसला किया है ताकि यह उनके समुदाय के अन्य लोगों को अपनी मानसिकता बदलने में मदद करे.

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