Dr. BR Ambedkar message to soldiers of Samata Sainik Dal : रविवार 8 जनवरी, 1939 को प्रातः परेल मुंबई के कामगार मैदान पर समता सैनिक दल के सैनिकों की परेड का कार्यक्रम संपन्न हुआ. इसमें डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर (Dr. Babasaheb Bhimrao Ambedkar) ने Samata Sainik Dal सैनिकों को सम्बोधित किया.
Samata Sainik Dal: महाड़ आंदोलन के डॉ. आंबेडकर के संघर्ष में समता सैनिक दल की अहम भूमिका
डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर (Dr. Babasaheb Bhimrao Ambedkar) अपने संबोधन में कहा कि, ‘समता सैनिक दल का सैनिक अर्थात समाज सेवा के लिए सर हथेलीपर रखकर लड़ाई के लिए सज्ज हुआ निर्भय योद्धा ही कहना चाहिए. मानवता के लिए समानता का उज्वल तत्व अंतःकरण में प्रज्वलित कर अपने कार्य की उसने पुर्तता करनी चाहिए. इसके लिए सभी ने प्रतिज्ञा लेकर किसी भी प्रकार का जातिभेद (Caste Discrimination) नहीं मानूंगा – महार, मांग, भंगी जैसे ऊंच-नीचता के भेद नहीं मानूंगा. मैं इंसान हूं, सभी से इंसानियत की तरह बर्ताव करूंगा और विषमता के जहरीले बीज समाज से नष्ट करूंगा. इस प्रकार आज से दृढ़तापूर्वक पालन करना चाहिए. ऐसी प्रतिज्ञा करने वाले व्यक्ति को ही समता सैनिक दल (Samata Sainik Dal) का सच्चा सैनिक समझना चाहिए. कुल ऐसी स्थिति का विचार करते हुए अपना दल आजादी की लड़ाई पिछड़े वर्ग के मोर्चें की एक लड़ाकू टुकड़ी है. यह पूर्णतः ध्यान में रखें. आपने अपने हर एक कृति से देश के आदर्श सैनिक बनना चाहिए. आपकी ओर देखते ही सैनिक दल का एक उत्कृष्ठ नमूना इस दृष्टि से आपका सारे संसार में नाम होना चाहिए. अच्छे गुण, अनुशासन और संगठन इनके द्वारा आपका दल फौलादी बनना चाहिए.’
Dalit History (13th March): डॉ. आंबेडकर ने इन आदर्शों के साथ समता सैनिक दल की स्थापना की