जब बाबा साहब ने दलित लेखकों से कहा था- ‘दलितों की बहुत बड़ी दुनिया है, इसे भूलना मत’
ब्लॉग- डॉ. निशा सिंह स्वतंत्रता के बाद जो लेखन के क्षेत्र में विमर्श प्रारंभ हुआ, उसने नब्बे के दशक तक आते-आते पूरी रफ्तार पकड़ ली. राजनीति के क्षेत्र में दलित विमर्श या आंदोलन भले भटक गया हो, लेकिन लेखन के क्षेत्र में दलित विमर्श पूरी तरह से अम्बेकरवादी हैं. भारतीय राजनीति में 1990 का दशक …
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