नई दिल्ली : हरियाणा (Haryana) में उच्च जातियों द्वारा दलितों का उत्पीड़न (Dalit Atrocities) किस कदर हो रहा है, इसका एक नजारा आजकल रोहतक (Rohtak) के भैनी मातो गांव (Bahini Mato Village) में देखने को मिल रहा है. यहां दलित समुदाय का सामाजिक बहिष्कार (Dalit Community Social Boycott) कर दिया है. जिसकी वजह यहां एक दलित परिवार (Dalit Family) का उच्च जाति के एक युवक के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट (SC/ST Act) और पोक्सो एक्ट (POCSO ACT) के तहत दर्ज केस को वापस न लेना है. इसकी वजह से दलित परिवारों को रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएं भी खरीदने के लिए गांव से करीब आठ किलोमीटर दूर का सफर तय करना पड़ रहा है.
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 7 दिसंबर को ऊंची जाति के एक युवक के खिलाफ घर में जबरन घुसने और उनकी नाबालिग बेटी से छेड़छाड़ करने के आरोप में Protection of Children from Sexual Offences (POCSO ACT) तथा एससी/एसटी एक्ट (SC/ST Act) के तहत महम पुलिस स्टेशन में केस दर्ज कराया गया था. पीडि़त दलित परिवार ने मामले में अपनी शिकायत को वापस लेने से इनकार कर दिया था.
रिपोर्ट के अनुसार, जब आरोपी युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया तो 8 दिसंबर को गांव में एक पंचायत (Panchayat) हुई, जिसमें दलित परिवार (Dalit Family) पर केस वापस लेने का दबाव डाला गया. दलित परिवार ने केस वापस लेने से मना कर दिया. इसमें बाद गांव में दो और पंचायत हुई और पूरे दलित समुदाय का बहिष्कार करने को कहा गया. आरोप है कि 15 दिसंबर को गांव में ऐलान कर दिया गया जो भी दलितों (Dalits) को अपने खेतों और रास्तों से जाने देगा उस पर 11 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और कोई भी दलित वर्करों को काम नहीं देगा. साथ ही दुकानदारों से कह दिया गया कि वे दलितों को भी कुछ भी सामान नहीं बेचेंगे.
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पीड़ित नाबालिग के 70 साल के दादा ने कहा है कि हम केस वापस नहीं लेंगे. वे जब तक हमारा बहिष्कार करना चाहते हैं, करें. ये तीसरी बार था, जब आरोपी जबरन हमारे घर में घुस आया. बुजुर्ग ने दावा किया कि हम सामाजिक बहिष्कार (Social Boycott) किए जाने को लेकर रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन गए थे, लेकिन हमारी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई. पुलिस ने हमसे कहा कि वे खुद ये मामला सुलझा लें. शिकायत दर्ज कराने की कोई जरूरत नहीं.
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