क्वारंटाइन: दलित महिला के हाथ का बना खाना नहीं खाया, बोला, ‘मेरे ऊपर देवता आते हैं’

उत्‍तराखंड (Uttarakhand) के नैनीताल (Nainital) के एक गांव में स्थित एक क्वारंटाइन (Quarantine) सेंटर में 23 वर्षीय युवक दिनेश चंद्र मिलकानी ने कथित तौर पर एक दलित (Dalit) महिला रसोइए द्वारा बनाया खाना खाने से इनकार कर दिया. इस युवक के खिलाफ भुमका गांव के प्रधान की शिकायत के आधार पर केस दर्ज किया गया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक आरोपी दिनेश चंद्र मिलकानी, उसका 12 साल का भतीजा और तीन अन्य लोग एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में बने क्वारंटाइन सेंटर में 15 मई से रह रहे हैं.  एक दलित महिला भवानी देवी को इन लोगों के खाना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

भवानी देवी का कहना है कि 15 मई को उसने क्वारंटाइन में रह रहे सभी लोगों के लिए खाना बनाया. महिला ने बताया, ‘बाकी सभी लोगों ने खाना खा लिया लेकिन आरोपी ने मना कर दिया. मुझे लगा कि उसने ऐसे ही मना कर दिया होगा, लेकिन फिर उसने मेरे हाथ का छुआ पानी पीने से भी इनकार कर दिया. ‘

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यह बात गांव के प्रधान मुकेस चंद्र बुद्ध तक पहुंची तो उन्होंने आरोपी से बात की. उन्होंने कहा, ‘आरोपी ने बताया कि उसके परिवारवाले उसका खाना पहुंचा रहे हैं, लेकिन जब हमने उससे महिला द्वारा छुआ पानी पीने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया. यह सीधे-सीधे जातिगत भेदभाव का मामला है. इसलिए मैंने उसके खिलाफ अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई.’

वहीं दूसरी तरफ आरोपी दिनेश चंद्र मिलकानी ने इन आरोपों से इनकार किया है.  उसने कहा, यह आरोप गलत है कि मैंने सिर्फ इसलिए खाना लेने से मना कर दिया क्योंकि यह किसी दलित महिला ने तैयार किया था. मैं कभी भी किसी दूसरे का बना खाना नहीं खाता हूं क्योंकि कभी कभी मुझे पर देवता आते हैं.

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राजस्व अधिकारियों के अनुसार, मिलकानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 261 और धारा 271 और साथ ही एससी / एसटी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इस बीच सवीन बंसल ने कहा है कि उन्होंने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने कहा, जब मुझे इस मामले के बारे में बताया गया तो मैंने जांच के आदेश दे दिए गए अगर आरोप सही पाए गए तो उचित कार्रवाई की जाएगी.

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