Dalit History of the Day (22 February) | आज का दलित इतिहास (22 फरवरी) : 63 साल पहले साल 1959 में 22 फरवरी को एक्टिविस्ट एवं अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकारों के संघर्ष के प्रमुख नेता डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर (Martin Luther King Jr) और उनकी पत्नी कोरेटा स्कॉट किंग (Coretta Scott King) ने केरल के तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram in Kerala) में एक हाई स्कूल का दौरा किया. स्कूल के प्रिंसिपल ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर को संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) से एक अछूत के रूप में पेश किया.
छह साल बाद 4 जुलाई 1965 को Martin Luther King Junior ने अटलांटा, जॉर्जिया में एबेनेज़र बैपटिस्ट चर्च (Ebenezer Baptist Church in Atlanta, Georgia) में एक उपदेश देते हुए उस प्रिंसिपल के शब्दों को याद किया और कहा, “हां, मैं एक अछूत (Untouchable) हूं और अमेरिका में हर नीग्रो एक अछूत है और यह अलगाव की बुराई है”.
डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर (Martin Luther King Jr) ने कहा था, यह जाति व्यवस्था में एक अछूत (Untouchable) के रूप में अलग किए गए लोगों को कलंकित करता है. मेरे 2 करोड़ भाई-बहन अभी भी एक संपन्न समाज में गरीबी के एक वायुरोधी पिंजरे में दम तोड़ रहे थे. मैंने अंत में अपने आप से कहा, हां, मैं एक अछूत हूं और अमेरिका में हर नीग्रो एक अछूत है (Yes, I am an untouchable & every Negro in the US is an untouchable).
दरअसल, डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर (15 जनवरी 1929 – 4 अप्रैल 1968) अमेरिका के एक पादरी, आन्दोलनकारी एवं अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकारों के संघर्ष के प्रमुख नेता थे. उनके प्रयत्नों से अमेरिका में नागरिक अधिकारों के क्षेत्र में प्रगति हुई, इसलिये उन्हें आज मानव अधिकारों के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है. दो चर्चों ने उन्हें सन्त के रूप में भी मान्यता प्रदान की है. डॉ. किंग ने संयुक्त राज्य अमेरिका में नीग्रो समुदाय के प्रति होने वाले भेदभाव के विरुद्ध सफल अहिंसात्मक आंदोलन का संचालन किया था. उन्हें सन् 1964 में विश्व शांति के लिए सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया. कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद उपाधियां दीं.