Today’s Dalit History (27th February) | आज का दलित इतिहास (27 फरवरी) : 27 फरवरी 1947 को बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर (Baba Saheb Dr. Bhimrao Ambedkar) ने मौलिक अधिकारों पर सलाहकार समिति के समक्ष राज्य और अल्पसंख्यकों पर एक बयान प्रस्तुत किया. सामुदायिक खेती और सहकारी खेती पर बाबा साहेब का स्वतंत्र दृष्टिकोण (Babasaheb’s independent perspective on community farming and cooperative farming) था. कृषि विकास (Agricultural Development) के लिए यह उनका क्रांतिकारी प्रस्ताव था. मूल रूप से 27 फरवरी 1947 को डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) ने मौलिक अधिकारों पर सलाहकार समिति के समक्ष राज्य और अल्पसंख्यकों पर एक बयान प्रस्तुत किया. इस बयान में उन्होंने आशा व्यक्त की कि सामुदायिक खेती पूरे भारत में होगी. उससे आगे सामुदायिक खेती और आधिकारिक समाजवाद का विकास होना चाहिए.
बाबा साहेब का विचार था कि सामुदायिक खेती (Community Farming ) से जमींदारों, कुलों और खेतिहर मजदूरों के बीच का अंतर खत्म हो जाएगा. यह पूरी अवधारणा स्वतंत्र भारत के समग्र सामाजिक और आर्थिक पुनर्गठन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण चरण है. कृषि के विकास (Agricultural Development) में अगला महत्वपूर्ण कदम उपयोगी श्रम, मशीनरी और पूंजी की तैनाती है. बाबासाहेब का मत था कि कृषि को प्रशिक्षित श्रमिकों की आवश्यकता है. कृषि को आधुनिक तरीके से करना है, इसलिए उन्होंने कृषि के मशीनीकरण का समर्थन किया.
विशेष रूप से उनका स्पष्ट विचार था कि कृषि में एक निश्चित निवेश के बिना कोई लाभदायक आय नहीं होगी. इसलिए, उन्होंने मांग की कि कृषि को एक उद्योग का दर्जा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि, “जैसे उद्योग को पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है, वैसे ही कृषि को भी. किसान और कृषि की समस्याओं (Problems of Farmers and Agriculture) के समग्र समाधान पर उन्होंने जोर दिया.
किसानों (Farmers) को संबोधित करते हुए डॉ. आंबेडकर (Dr. Ambedkar) ने कहा, ‘किसानों, आज आपकी संख्या 80 प्रतिशत से अधिक है. मैं चाहता हूं कि आप में से एक प्रधानमंत्री बने. मुझे यह मुट्ठी भर शेटजी का शासन नहीं चाहिए. आप 80 प्रतिशत लोगों का राज्य चाहते हैं. केवल किसान और खेतिहर मजदूर (Farmers and Agricultural Laborers) ही इस क्षेत्र की समस्याओं को समझ सकते हैं और केवल वे ही इन समस्याओं का समाधान कर सकते हैं.