Today’s Dalit History (28th February) | आज का दलित इतिहास (28 फरवरी) : बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर (Baba Saheb Dr. Bhimrao Ambedkar) ने प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और निशुल्क बनाने के कानून पर 28 फरवरी 1920 को अपने अख़बार ‘मूकनायक’ में एक लेख लिखा था. इस लेख में बाबा साहेब ने कानून के संदर्भ में ब्रिटिश और भारतीय नेतृत्व द्वारा निभाई गई भूमिका के बीच अंतर्विरोधों की सीधे तौर पर आलोचना की थी.
न केवल लड़कों, लड़कियों को भी अनिवार्य शिक्षा मिले: आंबेडकर
डॉ. आंबेडकर ने इस लेख में इस बात पर जोर दिया कि न केवल लड़कों को बल्कि लड़कियों को भी अनिवार्य शिक्षा (Compulsory Education for Girls) दी जानी चाहिए. उन्होंने लेख में कहा था कि सरकार की शैक्षिक सुविधाओं पर उच्च वर्गों के एकाधिकार को समाप्त करने के लिए अनिवार्य शिक्षा (Education) एक व्यवहार्य विकल्प था.
दरअसल, बतौर पत्रकार डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar as a Journalist) ने बेहद शानदार काम किया. उन्होंने अख़बारों और पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से दलित-वंचित समाज के लिए आंदोलन को ना केवल धार दी, बल्कि पूरी दुनिया को भारत के अछूतों की दयनीय स्थिति के बारे में बताया था. उनके लेख बेहद विश्लेषणपूर्ण होते थे.