संत रविदास की मूर्ति तोड़कर गंगा नदी में फेंकी, नाराज़ चंद्रशेखर आज़ाद पहुंचे हरिद्वार, देखें VIDEO

ChandraShekhar Azad

हरिद्वार (Haridwar) के चंडी घाट (Chandi Ghat) के पास बने नमामि गंगे (Namami Gange) घाट पर स्थापित संत शिरोमणि सतगुरु रविदास महाराज (Saint Shiromani Satguru Ravidas Maharaj) की मूर्ति को अज्ञात लोगों द्वारा गंगा नदी में फेंक दिए जाने और खंडित मूर्ति रखे जाने को लेकर आज़ाद समाज पार्टी (Azad Samaj Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद (Chandrashekhar Azad) ने मौके पर पहुंचकर नाराजगी व्‍यक्‍त की.

आजाद ने संत रविदास (Saint Ravidas) की खंडित मूर्ति को तत्‍काल बदलवाए जाने की मांग उत्‍तराखंड पुलिस के कर्मियों से की.

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चंद्रशेखर आजाद द्वारा ट्वीट किए गए वीडियो में वह अपने समर्थकों के साथ मौके पर दिखे और वहां मौजूद पुलिसकर्मियों से इस बारे में बातचीत करते दिखे. उन्‍होंने पुलिसकर्मियों से कहा कि अगर आपके पास व्‍यवस्‍था नहीं है तो हमें बताइये हम पैसे देंगे, लेकिन ये बदलवाइये, अपमान मत कराइये. फ‍िजिकल डिस्‍टेंसिंग का हमें अच्‍छे से ध्‍यान हैं और हमें मजबूरी में यहां आना पड़ा है. अगर हमारे महापुरुषों-रहबरों की इस तरह से बेइज्‍जती होगी तो हम क्‍या करेंगे.

 

इस घटना को लेकर दुनियाभर से सामने आए वीडियो भी पुलिसकर्मियों को दिखाने की बात चंद्रशेखर आजाद ने की, जिसमें संत रविदास के अनुयायी उनकी मूर्ति खंडित होने को लेकर अपनी नाराजगी जता रहे हैं.

इसके आगे उन्‍होंने पुलिसकर्मियों से कहा कि दुनियाभर में 30 करोड़ फॉलोवर हैं, संत रविदास जी के. इसके बाद पुलिसकर्मियों ने उन्‍हें आश्‍वासन दिया कि वे शाम तक खंडित मूर्ति की जगह नई मूर्ति स्‍थापित कराएंगे.

चंद्रशेखर ने पुलिसकर्मियों से कहा कि इससे पहले कि कोई विवाद हो जाए और यहां के लोग बाहर निकलें, इस बारे में कदम उठाइये.

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दरअसल, इसी सप्‍ताह हरिद्वार के चंडी घाट के पास बने नमामि गंगे घाट पर स्थापित महर्षि रविदास की मूर्ति किसी अज्ञात व्यक्ति ने गंगा में फेंक दी थी. इससे गुस्साए ज्वालापुर के विधायक रविदास आचार्य सुरेश राठौड़ के नेतृत्व में लोगों ने मौके पर पहुंचकर आक्रोश जताया था.

पुलिस अधिकारियों ने वार्ता कर लोगों को समझाया था और श्यामपुर थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. इस घटना के बाद संत रविदास की मूर्ति गंगा नदी से निकाली गई और दोबारा स्थापित की गई.

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