एक मुलाकात और IAS बनने का सपना रखने वाली मायावती बन गईं दलित राजनेता

Mayawati Covid 19 Lockdown

नई दिल्ली. भारतीय लोकतंत्र में कई ऐसे दलितों ने हुंकार भरी है, जिसने एक निम्न वर्ग के दलित को समाज में अपनी आवाज उठाने और अपनी बात रखने का हौंसला दिया है. बाबा साहेब आंबेडकर, कांशीराम और भी कई ऐसे नाम हैं, जो इतिहास के पन्नों पर अमर हो चुके हैं. इन्हीं नामों में से एक नाम है मायावती (Mayawati) का. दिल्ली की तंग गलियों में जन्म लेकर राजभवन तक सफर तय करने वालीं मायावती देश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री (First Dalit Chief Minister of India) हैं.

पहले तो दलित और दूसरा महिला होने के नाते अपने राजनीतिक सफर में मायावती को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. हर तरह का विरोध सहा, मनुवादियों द्वारा कहे गए अपशब्दों को सुना..लेकिन जो सोच लिया वो करके दिखाने की चाह में डटी रहीं. मायावती के जीवन की कई ऐसी कहानियां है जो अनसुनी हैं. इन्हीं में से एक है कांशीराम से मुलाकात और आईएएस का सपना रखने वाली मायावती का राजनेता बनने की शुरुआत का.

मैं IAS अफसर बनना चाहती हूं ताकि अपने समाज के लिए कुछ कर सकूं
1977 की एक सर्द रात में मान्यवर कांशीराम दिल्ली के इंद्रपुरी इलाक़े में प्रभुदयाल जी के घर पहुंचे थे. मायावती उस समय लालटेन की रोशनी में पढ़ाई कर रही थी. मान्यवर ने उनसे पूछा, तुम क्या बनना चाहती हो ? इस पर मायावती ने कहा ‘मैं IAS अफसर बनना चाहती हूं ताकि अपने समाज के लिए कुछ कर सकूं. मायावती के इस जवाब पर कांशीराम ने कहा ‘मैं तुम्हें उस मुकाम पर ले जाऊंगा जहां दर्जनों IAS अफसर तुम्हारे सामने लाइन लगाकर खड़ें होंगे. तुम तय कर लो, तुम्हें क्या बनना है?’

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कांशीराम के अनमोल विचार… संयुक्‍त राष्‍ट्र में ‘दलित छात्रा’ ने बढ़ाया ‘भारत का मान’ शूरवीर तिलका मांझी, जो ‘जबरा पहाड़िया’ पुकारे गए खुशखबरी: हर जिले में किसान जीत सकते हैं ट्रैक्‍टर जब कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर वाल्‍मीकि नेताओं ने किया Dr. BR Ambedkar का विरोध सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बीआर आंबेडकर की मुलाकात Dr. Ambedkar Degrees : डॉ. आंबेडकर के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं ‘धनंजय कीर’, जिन्होंने लिखी Dr. BR Ambedkar की सबसे मशहूर जीवनी कांशीराम के अनमोल विचार व कथन जो आपको पढ़ने चाहिए जब पहली बार कांशीराम ने संसद में प्रवेश किया, हर कोई सीट से खड़ा हो गया डॉ. आंबेडकर के पास थीं 35000 किताबें…