एक बार बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) का कानपुर रेलवे स्टेशन (Kanpur Railway Station) पर वाल्मीकि नेताओं (Valmiki Leaders) ने विरोध किया. बाबा साहब ने महसूस किया कि यह रणनीति विरोधी पार्टियों की बनाई है. उन्होंने जाति के कुछ नेताओं को बुलाकर उनसे वाल्मीकि समाज के मुद्दों पर चर्चा की. आंदोलनकारियों ने शांति बनाए रखी.
डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) आंदोलनकारियों को सच्चाई दिखाना चाहते थे. उन्होंने नेताओं से कहा कि वे ट्रेन में उनके केबिन में जाएं. उनके साथ काम कर रहे कर्मचारियों के नाम, उनकी जाति लिखकर लाएं. सूची से स्पष्ट हो गया कि वहां काम कर रहे कर्मियों में से 18 वाल्मीकि थे, एक ईसाई, एक अन्य जाति का था.
इस प्रकार डॉ. आंबेडकर ने दिखाया कि उनके कार्यालय में काम करने वाले 20 कर्मचारियों में से 18 केवल वाल्मीकि जाति (Valmiki Community) से थे. उन वाल्मीकि जाति के नेताओं को, जो उनका विरोध कर रहे थे, को उचित जवाब मिल गया.
Reference : पुस्तक ‘डॉ. आंबेडकर और वाल्मीकि समाज’, लेखक – प्रो. श्यामलाल
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