‘दलित क्या है? दलित कोई जाति नहीं, बल्कि परिवर्तन और क्रांति का प्रतीक है. दलित (Dalit) मानवतावाद में विश्वास करता है’. बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) को दलित आंदोलन का प्रेरक और प्रवर्तक मानने वाले सुविख्यात मराठी दलित साहित्कार डॉ. गंगाधर पानतावणे (Marathi Dalit litterateur Dr. Gangadhar Pantawane) ने दलित शब्द की व्याख्या करते हुए यह बात कही है.
समकालीन हिंदी साहित्य आंदोलन में दलित शब्द नवीन अर्थवत्ता के साथ प्रयुक्त हो रहा है. महान दलित साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि (Dalit litterateur Omprakash Valmiki) के शब्दों में दलित शब्द हमारे लिए बहुत ही प्रेरणादायक शब्द है. हम इसे दल के साथ जोड़ते हैं, जो सामूहिक तौर पर कार्य करता है. जीवन को सामाजिक तरीके से जीता है और समाज से अलगाव दूर करता है. इसी के आधार पर हमने दलित शब्द हो स्वीकार किया है और हमारे लिए दलित शब्द एक आंदोलन का प्रतीक है.
ऐसा पहली बार हुआ है कि इतिहास में दलितों ने अपने लिए एक अपना शब्द चुना है. अभी तक वे अपने लिए दूसरों के दिए शब्दों को इस्तेमाल करते रहे हैं. यहां तक की उनके बच्चों के नाम भी दूसरे रखते थे. अपने नाम रखने के लिए भी वे स्वतंत्र नहीं थे, लेकिन यह पहली बार हुआ है कि उन्होंने अपने लिए एक शब्द चुना है, जो उनके लिए एक संघर्ष का प्रतीक है.