कांशीराम के अनमोल विचार…
Casteism
भारतीय जातीय व्यवस्था और दलित: पहचान का सवाल
ब्लॉग- बलविंदर कौर नन्दनी भारतीय समाज के भीतर इतिहास द्वारा जात-पात की एक ऐसी व्यवस्था को खड़ा किया गया है, जिसमें मनुष्य अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक उलझा हुआ है. मनुष्य के जन्म के साथ उसकी जातीय पहचान तय हो जाती है, जो मृत्यु तक उसके साथ-साथ चलती है. 21वीं सदी के इस वैज्ञानिक …
दलित विमर्श: जब महात्मा फुले-पेरियार ने जातिवाद और ब्राह्मणवाद का विरोध किया
ब्लॉग- डॉ. निशा सिंह दलित (Dalit) विमर्श क्या हैं ?दलित विमर्श का क्षेत्र कितना हैं ? इसका अर्थ क्या हैं? आदि सवालों का जवाब दलित चिन्तक कंवल भारती इस प्रकार देते हैं कि दलित विमर्श सिर्फ एक जाति का विमर्श नहीं है, जैसा की आम धारणा हैं कि किसी दलित समस्या को लेकर किया गया विमर्श …
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