नई दिल्ली : 2 नंवबर 2021 को रिलीज हुई जय भीम (Jai Bhim) फिल्म की चर्चा चारों ओर है. भारत से लेकर विदेशी सिनेमा पर और फिल्म विश्लेषकों के रिव्यू में यह फिल्म हाई रेटिंग में है. दलित उत्पीड़न, स्त्री विमर्श एवं सामाजिक तानेबाने पर हावी जातिवाद (Casteism) पर गंभीरता से बात करती इस फिल्म ने एक और कीर्तिमान अपने नाम किया है. अभिनेता सूर्या (Actor Suriya) की जय भीम (Jai Bhim Movie) को ऑस्कर के यूट्यूब चैनल (Oscars YouTube Channel) पर दिखाया गया है. भारतीय सिनेमा की किसी फिल्म को ऑस्कर के यूट्यूब चैनल पर जगह मिलने को एक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है. इस तरह फिल्म की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है. सोशल मीडिया पर #JaiBhim ट्रेंड कर रहा है.
दरअसल, जय भीम फिल्म (Jai Bhim Movie) की समरी को निर्देशक टीजे ज्ञानवेल (Director TJ.Gnanavel) के साथ ऑस्कर (Oscars) ने अपने यूट्यूब चैनल (Oscars YouTube Channel) पर अपलोड किया है. इसमें फिल्म के शुरुआती सीन को दिखाया गया है, जिसमें जेल से निकलते कैदियों से पुलिसवाले उनकी जातियों के बारे में पूछते हैं और कैसे निचली जातियों के लोगों को अलग पंक्ति में खड़ा किया जाता है, जबकि उच्च जाति वालों को पुलिसवाले जाने देते हैं. जेल से बाहर निकलते इन निचली जातियों से ताल्लुक रखने वालों को पुलिस इसलिए एक कतार में अलग खड़ा करते हैं, ताकि उन्हें फिर झूठे केसों में अंदर डाला जा सके, क्योंकि उनके लिए आवाज़ उठाने वाला कोई नहीं.
इस सीन को दिखाने के बाद जय भीम फिल्म के निर्देशक टीजे ज्ञानवेल (Jai Bhim Director TJ.Gnanavel) को फिल्म के बारे में बात करते हुए दिखाया गया है. इसमें वह कहते हैं कि फिल्म का शुरुआती सीन ही इस मूवी की थीम है. कैसे एक पावरफुल सिस्टम जाति के आधार पर लोगों का उत्पीड़न करता है. उन्हें इसी तरह फंसाया जाता है. जब एक उच्च जाति का व्यक्ति मुसीबत में फंसता है तो उसका पूरा समुदाय उसके लिए लड़ता है, लेकिन आदिवासी लोगों (Tribals) जैसे अल्पसंख्यकों के लिए कोई उम्मीद या गुंजाइश नहीं होती. वह कहते हैं कि नस्लवाद (Racism) दुनिया भर में सबसे खराब तरह का भेदभाव है. लेकिन जातिवाद में भेदभाव की कई परतें अंतर्निहित हैं.
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इस फिल्म में सरवनन शिवकुमार (Saravanan Sivakumar), जिन्हें उनके मंचीय नाम सूर्या (Suriya) के नाम से जाना जाता है, मुख्य भूमिका में हैं. सूर्या इस फिल्म में मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के बाद वकील बने के चंद्रू (K Chandru) का किरदार निभा रहे हैं, जिन्होंने 1993 में इरुला जनजाति (Irula Tribe) की एक महिला को रुढि़वादी, जातिवादी समाज एवं व्यवस्था से न्याय दिलाने के लिए सभी बाधाओं से लड़ाई लड़ी.