नई दिल्ली. राज्यसभा के पूर्व सांसद और भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी बृजलाल (Former Rajya Sabha MP Brijlal) का दर्द छलका है. शनिवार को बृजलाल ने ट्वीट किया है कि केंद्र सरकार के 89 सचिवों में से मात्र एक दलित है. उन्होंने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवाओं (Indian Administrative Services) और विदेश सेवाओं के लिए लोगों की चयन प्रक्रिया के आंकड़ें बताते हैं कि देशभर में 11 लाख से ज्यादा दलित परीक्षा देते हैं, लेकिन महज 180 ही पास होते हैं. इन परीक्षाओं में दलितों की सफलता का पैमाना महज 0.01 फीसदी है. उन्होंने कहा कि दलितों की यह सफलता बहुत कम है.
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दलितों को 15 फीसदी आरक्षण दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद उनके लिए बड़े पदों पर पहुंचने की परीक्षा पास करना बेहद कठिन होता जा रहा है. बृजलाल ने कहा कि ऐसा आखिरकार क्यों हो रहा है इस पर केंद्र सरकार को विचार करने की आवश्यकता है.
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रिपोर्ट का हवाला देते हुए कही ये बात…
एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बृजलाल ने ट्वीट किया, ‘यह सच है कि उन्होंने यूपी बोर्ड हाई स्कूल में प्रदेश में 43वीं, 12 वीं में 10वीं, BSc में छठी रैंक हासिल की थी. उन्होंने MSc Maths 1st क्लास से पास किया. लेकिन बावजूद इसके 1976 में उन्हें Civil Service इंटरव्यब में मात्र 20% अंक दिए गए. लिखित में अच्छे अंकों के कारण ही IPS में वह पहले चांस में सिलेक्ट हो सके.
सत्यतता है। मैंने यूपी बोर्ड हाई स्कूल में प्रदेश में 43rd,12 वीं में 10th, BSc इलाहबाद विश्वविद्यालय में 6th MSc Maths 1st क्लास से पास किया। 1976 Civil Service Interview में मात्र 20% अंक दिए गये। लिखित में अच्छे अंक के कारण IPS प्रथम प्रयास में चयनित हुवा। pic.twitter.com/ru32xM97Ts
— Brij Lal (@BrijLal_IPS) March 12, 2021
दरअसल, पिछले दिनों एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि यूपीएससी की परीक्षाओं में जिन उम्मीदवारों ने जाति और धर्म से जुड़ी जानकारियां छुपा रखी थीं वो ज्यादा पास हुए है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीएससी परीक्षाओं में छात्र एग्जाम में तो पास हो जाते हैं, लेकिन इंटरव्यू के दौरान उनके उपनाम सामने आने के बाद भेदभाव किया जाता है.
एक नजर में…
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