5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में ज्यादातर सीटें दलित बहुल हैं. विशेषकर पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु (Tamil Nadu Assembly Elections 2021) में सत्ता किसके हाथों में जाएगी इसका फैसला कुछ खास जातियों के हाथों में ही माना जा रहा है. पश्चिम बंगाल में दलित समाज (Dalit Community) को अपनी ओर खींचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा दांव खेलते हुए बांग्लादेश के दौरे पर उनसे मुलाकात की.
और अब बीजेपी ने तमिलनाडु में 7 अनुसूचित जातियों को एक अलग नाम देकर नई राजनीति की शुरुआत की है. जानकारों का मानना है कि राज्य के पश्चिमी जिलों में बीजेपी मजबूत हो रही है और इन 7 जातियों को देवेंद्र कूला वेल्लालुर नाम देकर एक मुट्ठी में बांधकर अपने हक में करना चाहती है.
इंद्र और देवेंद्र कूला वेल्लालुर ही क्यों
बीबीसी से बातचीत करते हुए एक राजनीतिक विशेषज्ञ ने कहा कि बीजेपी इन जातियों के सहर्ष को स्वीकार कर चुकी है. देवेंद्र कूला वेल्लालुर को इसलिए चिन्हित किया गया है, क्योंकि ये सभी लोग अपने आप को इंद्र से जोड़ते हैं. बीजेपी यहां नंदानार की तस्वीर चुनावी पर्चों में इस्तेमाल करती है. ये पर्चे ऐसे इलाक़ों में बांटे जाते हैं जहां उनकी पूजा होती है.
इस तरह की गतिविधियों से दलित समाज के लोगों का ध्यान बीजेपी की ओर आकर्षित होगा. दलितों पर शोध करने वाले रघुपति कहते हैं, “बीजेपी शुरुआत से ही ऐसा कर रही है. चाहें पिछले लोकसभा चुनाव हों या फिर इस बार के विधानसभा चुनाव.
यही बीजेपी का तरीक़ा है. वो जातियों और पुराणों में बुनी गई कहानियों को स्वीकार करते हैं.