23 मार्च शहीद दिवस (Martyrs Day) के मौके पर ट्विटर पर #नास्तिक_शहीद_भगतसिंह ट्रेंड कर रहा है. इस ट्रेंड में सोशल मीडिया यूजर्स कई तरह की बातें लिख रहे हैं. आखिरकार नास्तिक शहीद भगत सिंह क्यों कहा जा रहा है. दरअसल, इसकी कहानी बाबा साहेब आबंडेकर से जुड़ी हुई है. जेल में अपनी डायरी में भगत सिंह ने लिखा था कि मैं तो नकली दुश्मनो से लड़ रहा था, असली दुश्मन तो मेरे देश में हैं. आइए जानते हैं ये पूरी कहानी….
एक बार भगत सिंह रेलगाड़ी से सफर कर रहे थे और एक स्टेशन पर गाड़ी रुकी भगतसिंह पानी पीने के लिए उतरे और पानी पिया तभी उनकी नजर कुछ दूर पर खड़े एक शख्स पर पड़ी जो धूप में नंगे बदन खड़ा था और बहुत भारी वजन उसके कंदे पर रखा था तरसती हुई आंखों से पानी की ओर देख रहा था
मन मे सोच रहा था, मुझको थोड़ा पानी पीने को मिल जाये भगत सिंह उसके पास गए और पूछने लगे आप कौन हो और इतना भारी वजन को धूप में क्यों उठाये हो तो उसने डरते हुए कहा, साब आप मुझसे दूर रहे नहीं तो आप अछूत हो जायंगे क्योंकि मैं एक बदनसीब अछूत हूं. भगत सिंह ने कहा आपको प्यास लगी होगी पहले इस वजन को उतारो और मैं आपके लिए पानी लाता हूं. आप पानी पी लो वो शख्स भगतसिंह के इस व्यवहार से वह बहुत खुश हुआ.
भगत सिंह ने उसको पानी पिलाया और फिर पूछा आप अपने आपको अछूत क्यों कहते हो तो उसने जबाब दिया अछूत मैं नहीं कहता अछूत तो मुझको एक वर्ग विशेष के लोग बोलते हैं और मुझसे कहते हैं कि आप लोग अछूत हो, तुमको छूने से धर्म भृष्ट हो जाएगा और मेरे साथ जानवरों जैसा सलूक करते हैं. आप ने तो मुझको पानी पिला दिया नहीं तो मुझको पानी भी पीने का अधिकार नही हैं और न ही छाया में भी खड़े होने का, और न ही सार्वजनिक कुंए से पानी पीने का अधिकार है.
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तब भगत सिंह को आभास हुआ कि मुझको तो बचपन से यही बताया गया हैं की देश अंग्रेजों से गुलाम हैं, पर ये तस्वीर तो कुछ और ही बयां करती हैं देश तो एक वर्ग विशेष से गुलाम हैं जो धर्म के नाम भारत को मूर्ख बनाये हुए है. भगत सिंह सोचने लगे देश अंग्रेजों से आजाद होकर भी गुलाम रहेगा, क्योंकि इन अछूतों को कौन आजाद कराएगा?
तब भगत सिंह ने बाबा साहब के बारे में जाना (उस समय बाबा साहब विदेश में थे). फिर भगत सिंह ने इस बात को लेकर अध्ययन किया और फिर सोचने लगे इनकी ऐसी हालत कैसे हुई.
असली दुश्मन तो मेरे देश में है…
भगत सिंह ने मैं नास्तिक क्यों पुस्तक में लिखा हैं मैं तो नकली दुश्मनो से लड़ रहा था, असली दुश्मन तो मेरे देश में हैं. जिनसे बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर और शाहूजी लड़ रहे हैं. अगर मैं जेल से छूटा तो आजीवन बाबा साहब के साथ रहते हुए, इन अछूत अस्पृश्य भारतीयों की आजादी के लिए लड़ूंगा.