अहमदाबाद : दलित समुदाय के दूल्हों (Dalit Groom) को घोड़ी चढ़कर बारात निकालने से रोकने वालों के लिए यह खबर मुंह पर तमाचे के बराबर है. गांधीनगर की एक सत्र अदालत ने शनिवार को नौ लोगों को पांच साल की कैद की सजा सुनाई, जिन्होंने साल 2018, जून में परसा गांव में एक दलित युवक को उसकी बारात में घोड़े की सवारी करने से रोका (Dalit Groom stopped from riding Horse) था.
लोक अभियोजक पीडी व्यास ने बताया कि शादी में लोगों को धमकाने और एससी/एसटी एक्ट के तहत नटवरसिंह परमार, कुलदीप सिंह चौहान, अनिरुद्धसिंह राठौड़, देवेंद्र सिंह चावड़ा, विजयसिंह चौहान, विपुल चौहान, जिगरसिंह चौहान, नरेश चौहान और वीरेंद्र सिंह चौहान को दोषी ठहराया.
9 आरोपियों पर मुकदमा चलाया गया, लोकअभियोजक ने आरोपों को साबित करने के लिए 18 गवाहों को एग्जामिन किया. अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और उन्हें 5 साल की कैद की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया.
यह मामला 17 जून, 2018 का है, जब परसा गांव के क्षत्रिय समुदाय के युवकों ने मेहसाणा कस्बे के एक प्रशांत सोलंकी की बारात का विरोध किया, क्योंकि वह घोड़े पर सवार होकर बारात निकाल रहा था. दूल्हा कार से गांव की सीमा तक गया था और उसे घोड़े पर सवार होकर शादी में दुल्हन के घर तक जाना था. दोषियों ने इस पर उसे रोक दिया और कहा कि सोलंकी घोड़े की सवारी नहीं कर सकता, क्योंकि केवल “बड़ी जाति” का कोई व्यक्ति ही ऐसा कर सकता है, जैसे कि उनका समुदाय.
इसको लेकर गांव के युवकों से उनकी कहासुनी हो गई और उन्होंने खूब धमकाया. दूल्हे के परिवार ने पुलिस को फोन किया और सुरक्षा की मांग की. पुलिस गांव पहुंची और पुलिस की निगरानी में बारात निकाली गई.