नई दिल्ली. कोरोना महामारी से बचाव हेतु ब्राह्मणों (Corona Vaccination Center for Brahmins) के लिए अलग से वैक्सीनेशन सेंटर बनाए जाने पर कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) विवादों में घिर गई है. हर कोई यही सवाल पूछ रहा है कि वैक्सीन भी सवर्ण और दलित जाति के आधार पर अलग-अलग दी जाएगी. हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले कर्नाटक सरकार जाति आधारित सैलून खोलने की घोषणा को लेकर सुर्खियों में आई थी.
साल 2020 के नवंबर महीने में कर्नाटक के कुछ जिलों में जातिगत भेदभाव की घटनाएं घटित हुई थीं, जिसके बाद सरकार ने कुछ ऐसे सैलून खोलने का ऐलान किया था, जहां सिर्फ दलितों के बाल काटने और शेविंग की व्यवस्था की जाएगी.
ग्रामीण क्षेत्रों में सामने आई थी कई घटनाएं
राज्य के समाज कल्याण विभाग ने काफी समय पहले उन गांवों में सरकार द्वारा संचालित नाई की दुकानें शुरू करने का प्रस्ताव दिया था, जहां दलित आम सैलून का उपयोग करने से कतराते हैं, या फिर उन्हें वहां जाने से रोक दिया जाता है. विभाग ने राज्य भर में जातिगत पूर्वाग्रहों से लड़ने के लिए इस पहल की सिफारिश की थी.
हालांकि सरकार ने इस तरह के सैलून खोले या नहीं इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन लोग इस तरह की बातों से भड़क गए थे. सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे दोहरी मानसिकता करार दिया था.