डॉ. भीमराव आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) ने विभिन्न संप्रदायों के शैक्षणिक विकास में तुलनात्मक असमानता पर आंकड़े रखते हुए नाराज़गी प्रस्तुत की थी. 12 मार्च 1927 में मुंबई प्रांत विधान परिषद में दिए अपने भाषण में कहा था, देश में शिक्षा में मामले में पिछड़े वर्ग (Backward Classes) की स्थिति मुसलमानों (Muslims) की स्थिति से भी बुरी है. बाबा साहब ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री के सामने बाकायदा गणना प्रस्तुत करते हुए यह बात कही थी.
बाबा साहब ने कहा था कि आंकड़ों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि प्राथमिक शालाओं में प्रवेश करने वाले प्रति सैंकड़ा बच्चों में से मात्र 18 ही चौथी कक्षा तक पहुंचते हैं, इसलिए मैं माननीय शिक्षा मंत्री से अनुरोध करता हूं कि प्राथमिक शिक्षा की मद पर और ज्यादा पैसा खर्च किया जाए.
पढ़ें- डॉ. आंबेडकर के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं…
डॉ.आंबेडकर ने मुंबई प्रांत विधान परिषद में कहा कि यह देश विभिन्न संप्रदायों से मिलकर बना है. ये सभी समुदाय अपनी स्थिति और प्रगति में एक दूसरे से अलग हैं. अगर उन्हें बराबरी के स्तर पर लाए जाने की बात है तो इसका एक ही उपाय है. समानता का सिद्धांत अपनाना और जिनका स्तर निम्न है, उनके साथ विशेष व्यवहार करना. लेकिन मैं कहता हूं कि सरकार ने इस सिद्धांत को मुस्लिमों पर अच्छी तरह से अपनाया है. मेरी एकमात्र शिकायत यही है कि सरकार ने इस सिद्धांत को पिछड़े वर्ग में प्रयोग किया जाना उचित नहीं समझा है. इसलिए मैं समझता हूं कि इस मामले में विशेष व्यवहार का सिद्धांत अपनाया जाना चाहिए.
बाबा साहब ने कहा कि जैसा कि मैंने स्पष्ट किया है कि उनकी स्थिति मुसलमानों से भी बुरी है और मेरी यह दलील है कि यदि ऐसे लोगों के साथ विशेष व्यवहार किया जाता है, जो इसके लायक हैं, जिन्हें इसकी जरूरत है, तो पिछड़े वर्गों पर मुसलमान की अपेक्षा ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है.
डॉ. बीआर आंबेडकर से संबंधित सभी लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें…