नई दिल्ली/लखनऊ: आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) में ब्राह्मणों को साधने के लिए बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती (Mayawati) द्वारा ब्राह्मण सम्मेलन (BSP Brahman Sammelan) किए जाने पर भीम आर्मी चीफ (Bhim Army Chief) एवं आज़ाद समाज पार्टी (Azad Samaj Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद (Chandrashekhar Azad) ने अपनी खुलकर राय ज़ाहिर की है. चंद्रशेखर आज़ाद ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि सभी पार्टियों की अपनी-अपनी रणनीतियां होती हैं. जब बीजेपी और कांग्रेस के लोग दलित सम्मेलन कर सकते हैं तो बीएसपी प्रमुख क्यों नहीं कर सकतीं, उनको भी अधिकार है. इस तरह उन्होंने साफ संकेत दिया कि उन्हें बसपा के ब्राह्मण सम्मेलन करने से कोई आपत्ति नहीं.
दरअसल, विपक्षी दल मायावती (Mayawati) द्वारा ब्राह्मण सम्मेलन (BSP Brahman Sammelan) आयोजित करने की घोषणा किए जाने के बाद सवाल उठा रहे हैं. गोरखपुर से भाजपा सांसद रविकिशन ने तो यहां तक कह डाला कि ‘ब्राह्मणों को ज्ञान के लिए जाना जाता है, लालच के लिए नहीं. अच्छा होगा कि मायावती ब्राह्मण समुदाय को ना लुभाएं’.
उधर, चंद्रशेखर आज़ाद (Chandrashekhar Azad) ने अयोध्या (Ayodhya) में एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए इस मुद्दे पर अपनी राय साफ कर दी. उन्होंने कहा कि, ‘अच्छा है, क्योंकि सभी पार्टियों की अपनी-अपनी रणनीतियां होती हैं. जब बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के लोग दलित सम्मेलन कर सकते हैं तो वो क्यों नहीं कर सकतीं, उनको भी अधिकार है. अपने अपने दल को आगे बढ़ाने के लिए हर कोई काम करता है, जैसे हम बहुजन समाज को जोड़ने का काम कर रहे है. हमें लगता है कि हमें पिछड़े वर्ग के सम्मेलन करने चाहिए. मुस्लिम समाज के सम्मेलन करने चाहिए. भाईचारा सम्मेलन करने चाहिए. तो हर आदमी अपनी अपनी रणनीति पर काम कर रहा है’.
उन्होंने आगे कहा कि ‘जैसे बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) सभी के हैं. अब बीजेपी के लोग भी बाबा साहब को मानने लगे हैं. आरएसएस के लोग भी मानने लगे हैं. जबकि यही आरएसएस के लोगों ने बाबा साहब की शव यात्रा उनके जिंदा रहते हुए निकाली थी’.
चंद्रशेखर आज़ाद की यह टिप्पणी आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी मायने रखती है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चंद्रशेखर का यह बयान बताता है कि वह मायावती पर राजनीतिक हमला नहीं करना चाहते. इसकी वजह ये भी है कि वह बखूबी जानते हैं कि आखिर वे बसपा सुप्रीमो मायातवी से लड़कर किसे फायदा पहुंचाएंगे, क्योंकि उनकी लड़ाई से दलित वोट बंटेगा. दूसरी बात ये भी जब बीजेपी दूसरे लोगों को जोड़ सकती है तो मावती ब्राह्मणों को क्यों नहीं जोड़ सकतीं. इसके मायने ये भी हैं कि वह आगामी विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर मायावती के प्रति नरम हैं.
उल्लेखनीय है कि अगले साल होने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी 23 जुलाई को अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित करेगी. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि ब्राह्मण आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देंगे.