नई दिल्ली : (UP Assembly Election Results 2022) उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) के रण में उतरे दलित नेता चंद्रशेखर आजाद (Dalit Leader Chandrashekhar Azad) को गोरखपुर सदर सीट (Gorakhpur Urban Seat) पर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के सामने हार का सामना करना पड़ा. अपनी जीत को लेकर आश्वस्त चंद्रशेखर इस सीट पर तीसरे नंबर रहे. उन्हें उम्मीद के मुताबिक भी वोट नहीं मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई. इसे उनकी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) एवं भीम आर्मी संगठन (Azad Samaj Party and Bhim Army Organization) की ओर से बड़े घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है. राजनीतिक विशेषज्ञ चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) की इस हार के कई मायने निकाल रहे हैं. उनका कहना है कि अपने गढ़ सहारपुर (Saharanpur) के बजाय भीम आर्मी चीफ का गोरखपुर (Gorakhpur Sadar Seat) से लड़ना उचित फैसला नहीं था.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजे 2022 (UP Assembly Election Results 2022) में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) (Azad Samaj Party) एवं भीम आर्मी (Bhim Army) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) को गोरखपुर सदर सीट (Gorakhpur Urban Seat) पर कुल 7640 वोट प्राप्त हुए. इनमें 97 पोस्टल वोट, जबकि 7543 ईवीएम वोट रहे. इस तरह उन्हें कुल 3.06 प्रतिशत वोट ही मिल सके. वह इस सीट पर तीसरे स्थान पर रहे.
वहीं, गोरखपुर सदर सीट (Gorakhpur Urban Seat) पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को जीत हासिल हुई. उन्हें कुल 165499 वोट मिले, जोकि 66.18 प्रतिशत वोट शेयर था. उनके बाद दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के उम्मीदवार सुभावती उपेंद्र दत्त शुक्ला (SUBHAWATI UPENDRA DUTT SHUKLA) रहे. उन्हें कुल 62109 वोट मिले, जोकि 24.84 प्रतिशत वोट रहे.
अपने पहले ही चुनाव में चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) की हार से पार्टी काडर निराश है. उन्हें पूरी उम्मीद थी कि यूपी चुनाव 2022 में आजाद समाज पार्टी और चंद्रशेखर आजाद को बड़ी ओपनिंग मिलेगी, जोकि लखनऊ का रास्ता उनके लिए खोलेगी. हालांकि चुनाव परिणाम इसके विपरित रहे. राजनीतिक जानकारों का भी कहना है कि चंद्रशेखर का अपने पांरपरिक क्षेत्र सहारनपुर (Saharanpur) की बजाय गोरखपुर से लड़ना सही फैसला नहीं था. यह उनके लिए गलत साबित हुआ और वह अपनी एक सीट गंवा बैठे. यानि वे अगर सहारनपुर से लड़ते तो वहां अपना अच्छा खास जनाधार होने के चलते कम से कम जीत तो पाते.
दरअसल, आजाद समाज पार्टी (Azad Samaj Party) ने बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय’ की बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर और कांशीराम साहब की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए आजाद समाज पार्टी (कांशीराम), गोरखपुर सदर (322) सीट से चंद्रशेखर आजाद को अपना उम्मीदवार घोषित किया था. चंद्रशेखर ने मार्च 2020 में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की शुरुआत की थी, जिसके वह अध्यक्ष हैं. गोरखपुर सदर सीट के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण यानी तीन मार्च को मतदान हुआ था.
पहले चंद्रशेखर आजाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ चुनाव लड़ने के वास्ते गठबंधन के लिए बातचीत कर रहे थे, लेकिन उसके द्वारा केवल दो सीटों की पेशकश किये जाने पर बात नहीं बन पाई. इसके बाद, आजाद ने अपना गठबंधन सामाजिक परिवर्तन मोर्चा (Samajik Parivartan Morcha) बनाया और कहा कि वह सपा से सम्पर्क नहीं करेगी, क्योंकि यह ‘‘आत्मसम्मान’’ का मामला है.
गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरते हुए आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने कहा था कि इस बार गोरखपुर के लोग 1971 के उस इतिहास को दोहराएंगे जब एक मुख्यमंत्री को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. अपनी जीत की उम्मीद जताते हुए आजाद ने यह भी कहा कि 36 छोटे दलों के गठबंधन ‘सामाजिक परिवर्तन मोर्चा’ (Samajik Parivartan Morcha) ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है तथा यह मोर्चा उत्तर प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमें गोरखपुर के इतिहास को देखने की जरूत है… 1971 में तत्कालीन मुख्यमंत्री टी एन सिंह को गोरखपुर के लोगों ने हराया था. इसी तरह, इस बार आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं और वह उत्तर प्रदेश एवं गोरखपुर की पिछले पांच साल में हुई तबाही के लिए जिम्मेदार हैं.’’