नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के एक एसीपी, एसएचओ और सहायक उप निरीक्षक के खिलाफ के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट (SC/ST Act) के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिए हैं. दिल्ली पुलिस कमिश्नर को यह आदेश जारी किए गए हैं.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोनू अग्निहोत्री ने आदेश पारित करते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त (Delhi Police Commissioner) को निर्देश दिए कि वह एएसआई नरेश कुमार, तत्कालीन एसएचओ थाना बीएचडी नगर और नजफगढ़ के तत्कालीन एसीपी और बाहरी जिले के तत्कालीन एसीपी/पीजी सेल के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट (SC/ST Act) की धारा 3(2)(vii) तथा आईपीसी की धारा 217/218 के एफआईआर दर्ज करें.
एएसजे सोनू अग्निहोत्री ने कहा कि “हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि एक पुलिस अधिकारी यानी आईओ शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ सीसीटीवी फुटेज में जाति आधारित टिप्पणियां सुन पा रहा है, लेकिन अन्य पुलिस अधिकारियों यानी बाहरी जिले के एसीपी/पीजी सेल सीसीटीवी फुटेज में जाति-संबंधी टिप्पणी नहीं सुन पा रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि यह सब ऐसा इसलिए हो रहा है ताकि आरोपी को निकालने में मदद मिले.
इससे पहले शिकायतकर्ता द्वारा दायर की गई शिकायत पर अगस्त 2017 में अदालत के निर्देश पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसके इलाके के कई लोगों ने लगभग 63 व्यक्तियों के हस्ताक्षर कराकर उसके खिलाफ झूठी और जाली शिकायत की थी.
इन लोगों ने शिकायतकर्ता पर आरोप लगाया था कि वह जानबूझकर अपनी जाति का दुरुपयोग करता है और विभिन्न लोगों को फंसाता है और बाद में उनसे पैसे लेकर मामले को सुलझाता है. इस शिकायत पर बाहरी जिले के एसीपी/पीजी ने जांच की थी.
पुलिस ने उस एफआईआर में शिकायतकर्ता के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर एससी/एसटी एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था. बाद में आरोपित व्यक्तियों ने कथित रूप से 63 व्यक्तियों द्वारा हस्ताक्षरित एक शिकायत के आधार पर उच्च न्यायालय के समक्ष 24 अगस्त, 2017 के आदेश को चुनौती दी और दिल्ली उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त किया था.
जांच में आगे शिकायतकर्ता को पता चला कि एक ऐसे हस्ताक्षरकर्ता ने बताया था कि उन्होंने कभी आरडब्ल्यूए के लेटरहेड पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. उनके हस्ताक्षर जाली और गढ़े हुए हैं.