नई दिल्ली. दलित छात्रों के साथ भेदभाव का मामला अब यूपीएससी के इंटरव्यू में भी सामने आया है. उद्योग जगत का संगठन दलित इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री सामाजिक संरचना (Dalit Indian Chamber of Commerce and Industry Social Structure) के आधार पर ऐसी व्यवस्था की सिफारिश की है, जिसमें अब छात्रों को अपना सरनेम हटाने या छुपाने का सुझाव दिया जाएगा.
लाइव हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के अनुसार, संगठन की एक रिसर्च की मुताबिक यूपीएससी के छात्रों के साथ सरनेम होने के कारण भेदभाव हो रहा है. संगठन का कहना है कि जो दलित छात्र अपने नाम के साथ सरनेम लगाते हैं उनके साथ इंटरव्यू के दौरान भेदभाव होता है. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा गया है, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय के निर्देश पर ये अध्ययन कराया जा रहा है. मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक इस अध्ययन के आजादी के बाद हुए विकास के कामकाज में दलितों के प्रतिनिधित्व को लेकर आंकडे जुटाए जा रहे हैं.
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जाति छुपाने वाले छात्र ज्यादा हुए पास
संगठन ने अपनी रिसर्च का हवाला देते हुए कहा है कि जिन छात्रों ने यूपीएससी इंटरव्यू के दौरान अपनी जाति और धर्म से जुड़ी जानकारियां छुपाई हैं, वो ज्यादा पास हुए हैं.
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रिसर्च में कहा गया है कि सिविल सेवाओं की परीक्षाओं में प्री और मेन्स परीक्षा के दौरान उपनाम गुप्त रहता है लेकिन इंटरव्यू के दौरान ये पता चल जाता है जिससे दलितों से साथ भेदभाव होता है.