वाराणसी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में जातिगत भेदभाव का एक बड़ा मामला सामने आया है. 1 फरवरी से धरने पर बैठी बीएचयू के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में कार्यरत दलित महिला प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि दलित होने के कारण विश्वविद्यालय में उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.
नवभारत टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार, दलित महिला प्रोफेसर शोभना नेरलीकर ने 1 फरवरी को विश्वविद्यालय के सेंट्रल ऑफिस के सामने धरने पर बैठ गईं. शोभना नार्लीकर ने आरोप लगाया कि दलित होने के कारण विश्वविद्यालय में उनका मानसिक शोषण किया जा रहा है. पत्रकारिता जनसंचार विभाग में प्रोफेसर के पद पर तैनात प्रोफेसर शोभना नेरलीकर का कहना है कि 2013 से लगातार विश्वविद्यालय में प्रशासनिक अफसर और विभाग के प्रोफेसर दलित होने के वजह से उनका उत्पीड़न कर रहे हैं.
सीनियारिटी को किया जा रहा है प्रभावित
रेगुलर काम करने के बावजूद उन्हें कार्यालय में लीव विदाउट पे दिखाकर उनकी सीनियारिटी को प्रभावित किया जा रहा है. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से लेकर कई अफसरों को उन्होंने इसकी शिकायत की है, लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नही हो रही है.
2002 में किया था काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ज्वाइन
शोभना नेरलीकर ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में 19 अगस्त 2002 को बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन किया था और वह उसी समय पीएडी उपाधिधारक थीं. उनके साथ ही दो दिन बाद ब्राह्मण समुदाय के डॉ. अनुराग दवे ने भी विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन किया, लेकिन वह पीएचडी उपाधि धारक नहीं थे.
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उस समय प्रो. बलदेव राज गुप्ता विभागाध्यक्ष थे. तब ब्राह्णण समुदाय के शिशिर बासु ने विभाग में प्रोफेसर पद पर ज्वाइन किया था. 2003 में वह विभागाध्यक्ष बने और जातिगत आधार पर शिशिर बासु ने उनका मानसिक उत्पीड़न करना शुरू कर दिया.