नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में अभी तक चुनावों (UP Assembly Election 2022) की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तरह से चुनावों की तैयारी में लग गए हैं. इन दिनों कांग्रेस (Congress) महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) यूपी की राजनीति (UP Politics) में खासी दिलचस्पी ले रही हैं. हाल ही में उन्होंने चुनावों में महिलाओं को 40 फीसदी भागीदारी देने का ऐलान किया. इसके साथ ही युवतियों को टैब और स्कूटी देने का भी चुनावी वादा किया, लेकिन कांग्रेस के इन ऐलानों में अभी तक यूपी के करीब 21 प्रतिशत दलित वोटर्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई है.
वहीं, प्रियंका गांधी आगरा में पुलिस कस्टडी में मारे गए अरुण वाल्मिकी (Arun Valmiki) की हत्या के बाद उनके परिवार से मिलने के लिए पहुंची. इस दौरान उन्हें पुलिस कस्टडी में लिया गया और पुलिसकर्मियों के साथ उन्होंने सेल्फी भी ली. इस कठिन सफर के बाद प्रियंका ने परिवार से मुलाकात की और योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Govt) से न्याय की मांग की, लेकिन पार्टी की तरफ से किसी भी तरह की मदद का ऐलान नहीं किया गया.
आपको बता दें कि कुछ इस तरह से ही हाथरस कांड के बाद कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अपनी बहन प्रियंका के साथ पीड़िता के परिवार से मिलने पहुंचे थे और राज्य सरकार से न्याय की मांग की थी. इसके बाद न तो हाथस की पीड़िता (Hathras Gang Rape Victim) के परिवार की कोई मदद का कोई ऐलान हुआ और न ही किसी भी तरह की कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से कोई आर्थिक मदद की गई.
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एक तरफ जहां यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के चलते प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) दलित पीड़ित परिवार (Victim Dalit Family) के साथ फोटो खींचवाने के लिए साथ खड़ी नजर आ रही हैं. उसकी दूसरी तरफ राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने तो दलितों (Dalits) से दूरी बना रखी है. यहां हनुमानगढ़ में दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या (Rajasthan Hanumangarh Dalit Man Lynching) किए जाने का मामला सामने आया था. इस घटना के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ना तो पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे और ना ही वो मंगलवार को जयपुर में हुए दलित सम्मेलन में शामिल हुए. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि खुद को दलितों को हमदर्द समझने वाली कांग्रेस असल में दलितों के साथ खड़ी है या नहीं?
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वहीं, अब कांग्रेस के इस रवैये से सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे हैं. जहां लोग इंतजार कर रहे हैं कि क्या कभी प्रियंका गांधी वाड्रा राजस्थान के दलित पीड़ित परिवारों से मिलने जाएंगी. या फिर कभी गहलोत अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के दवाब में ही दलित पीड़ित परिवारों के मदद के लिए आगे आएंगे.