एक दलित IPS, जिससे कांपते थे क्रिमिनल, बना एक राज्‍य का पुलिस मुखिया

Dalit UP DGP Brijlal

भारत में बहुतेरी दलित (Dalit) प्रतिभाएं हैं, जिनका जन्‍म गरीब परिवार में हुआ, बचपन संघर्ष में बीता, लेकिन अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर उन्‍होंने एक मुकाम हासिल किया. इस तरह ये सफल दलित आज देश-दुनिया के सामने एक मिसाल हैं.

इन्‍हीं शख्सियतों में से एक हैं आईपीएस बृजलाल (IPS Brijlal). इनकी गिनती सफल पुलिस अधिकारियों में की जाती है.

आईपीएस बृजलाल का जन्‍म सिद्धार्थनगर (Siddharthnagar) के छोटे से गांव गुजरौलिया खालसा में हुआ. वे बेहद गरीब परिवार में जन्मे. वह अनुसूचित जाति की कोरी जाति से ताल्‍लुक रखते हैं.

पढ़ें- भारत के पहले दलित अरबपति, जिनकी कंपनी का टर्नओवर है करीब 26,42,67,50,000 रुपये

यूपी के पूर्व डीजीपी रहे बृजलाल तेजतर्रार आईपीएस अफसरों में गिने जाते हैं. 1977 बैच के आईपीएस अधिकारी बृजलाल का नाम ऐसा है कि यूपी का शायद ही कोई ऐसा जिला हो, जहां अपराधी उनके नाम से वाकिफ ना हों.

(Dalit Awaaz.com के फेसबुक पेज को Like करें और Twitter पर फॉलो जरूर करें…)

यूपी में सरकारें चाहे जिसकी भी रहीं, हर किसी ने उनकी कानून व्‍यवस्‍था संभालने, प्रशासनिक क्षमता, अपराधियों से निपटने के जज्‍बे को देखते हुए हमेशा कानून-व्यवस्था की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी.

वह शख्‍स, जो अपनी का‍बिलियत के दम पर बना देश का पहला दलित मुख्‍यमंत्री

वैसे उन्‍हें बसपा सरकार की सख्त कानून-व्यवस्था का चेहरा माना जाता है. उनकी पहली तैनाती 1982 में बतौर एसपी जालौन रही. जालौन में तैनाती के दौरान उन्होंने कई दस्यु गिरोहों जैसे पूरन सिंह, मलखान सिंह जैसे कुख्यात गिरोहों से मोर्चा लिया. इसके बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने साल 1989 में इटावा का एसएसपी भी बनाया. तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह ने उन्हें साल 1991 में मेरठ में एसएसपी बनाया था. वह पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की सरकार में लखनऊ के एसपी सिटी बने.

पढ़ें- पा रंजीथ: एक सफल दलित डायरेक्‍टर, जिन्‍होंने फिल्‍मों में जाति पर विमर्श के रास्‍ते खोले

वह सबसे लंबे समय तक पहले प्रदेश ADG कानून-व्यवस्था, फिर स्पेशल डीजी और फिर DGP यानि पुलिस प्रमुख बनाए गए.​ अक्टूबर 2011 में बृजलाल को यूपी डीजीपी बनाया गया. साल 2014 में वह रिटायर हुए.

बृजलाल अकेले ऐसे आईपीएस अधिकारी रहे, जिन्‍होंने पीलीभीत के एसएसपी रहने के दौरान आतंकियों का पीछा किया और ऐसा करते हुए वह पंजाब तक जा पहुंचे. अपने दो सिपाहियों को मारने वाले आतंकियों को उन्‍होंने अंजाम तक पहुंचाया.

पढ़ें- मिलिए, भीम गीत गाने वालीं कडुबाई खरात से, जो ‘दलितों की आवाज़’ बन गईं

इसी वजह से वह आतंकियों की हिट लिस्ट में आए. केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की सिफारिश पर उन्हें लंबे समय तक सुरक्षा दी गई. केंद्र ने उन्हें 25 आदमियों की लंबी-चौड़ी सुरक्षा 10 साल तक दी.

ये भी पढ़ें- दलित बिजनेसवुमेन कल्‍पना सरोज: 2 रुपये की नौकरी से लेकर 750 करोड़ ₹ टर्नओवर की कंपनी का सफर

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कांशीराम के अनमोल विचार… संयुक्‍त राष्‍ट्र में ‘दलित छात्रा’ ने बढ़ाया ‘भारत का मान’ शूरवीर तिलका मांझी, जो ‘जबरा पहाड़िया’ पुकारे गए खुशखबरी: हर जिले में किसान जीत सकते हैं ट्रैक्‍टर जब कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर वाल्‍मीकि नेताओं ने किया Dr. BR Ambedkar का विरोध सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बीआर आंबेडकर की मुलाकात Dr. Ambedkar Degrees : डॉ. आंबेडकर के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं ‘धनंजय कीर’, जिन्होंने लिखी Dr. BR Ambedkar की सबसे मशहूर जीवनी कांशीराम के अनमोल विचार व कथन जो आपको पढ़ने चाहिए जब पहली बार कांशीराम ने संसद में प्रवेश किया, हर कोई सीट से खड़ा हो गया डॉ. आंबेडकर के पास थीं 35000 किताबें…