नई दिल्ली. भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर के विचार हर किसी के लिए प्रेरणा दायक है. एक दलित परिवार से आने वाले बाबा साहेब आंबेडकर भारतीय संविधान को लिखने और अछूत (दलित) को सामान्य दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे किसी ने इसकी कल्पना भी नहीं थी. जैसे आंबेडकर और रमाबाई के संघर्ष की कहानी प्रेरणा दायक है, ठीक उसी तरह उनकी शादी भी.
5 April के दिन 1906 में आंबेडकर का विवाह रमाबाई से हुआ था. ये बात बहुत ही कम लोग जानते हैं आंबेडकर का विवाह मंदिर, घर या हॉल में नहीं बल्कि मुंबई के एक मछली बाजार में हुआ था. आंबेडकर के मैट्रिक परीक्षा में पास होने के बाद उनके पिता रामजी सूबेदार ने भीवा की शादी भिकू वलंगकर की पुत्री रमाबाई के साथ संपन्न कर दी थी.
एक कोने में घराती और दूसरे में बाराती
मुंबई के मछली बाजार में जब आंबेडकर और रमाबाई का विवाह हुआ तो उस दौरान एक कोने में घराती के लोग इकट्ठा हुए थे. वहीं, दूसरे कोने में बाराती इकट्ठा हुए. छप्पर के नीचे नाली से गंदा पानी बह रहा था. चबूतरे का इस्तेमाल बेंच के रूप में किया गया. बाजार के पूरे स्थल का इस्तेमाल-विवाह स्थल के रूप में किया गया था.
देर से शुरू हुई गृहस्थी और…
– आंबेडकर का विवाह बेशक से 1908 में संपन्न हुआ, लेकिन उनकी गृहस्थी की शुरुआत 1917 के बाद हुई.
– 1917 में जब आंबेडकर लंदन से लौटकर मुंबई आए. उनकी पत्नी रमाबाई को लगा कि हम लोगों ने अब तक जो भी दुख भोगा है. वह समाप्त हो चुका है. हमारे साहेब नौकरी करके पैसा कमाएंगे और सभी को खुशहाली में रखेंगे.
– इसके बाद 2 साल तक रामाबाई के साथ के बाद 1920 में आंबेडकर अपनी पढ़ाई पूरा करने के लिए लंदन चले गए.
-पढ़ाई, राजनीतिक,सामाजिक सक्रियता के कारण रामाबाई के साथ रिश्ते में आबंडेकर कितना रहे इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है.
– 1923 में भारत लौटे तब दोनों की जिंदगी थोड़ी पटरी पर लौटी. लेकिन आंबेडकर की सामाजिक-राजनीतिक सक्रियता बढ़ती गई, उन्हें संघर्ष के कई मोर्चों पर सक्रिय होना पड़ा. उनके पास रमाबाई के साथ बिताने के लिए 24 घंटे में आधे घंटे भी नहीं मिल पाते. इसका जिक्र उन्होंने बहिष्कृत भारत की संपादकीय में किया है.