भाटला में दलितों के सामाजिक बहिष्‍कार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले बलवान सिंह का निधन

Bhatla Dalit Social Boycott Case Balwan Singh Dahiya

हांसी : हरियाणा (Haryana) के बहुचर्चित भाटला दलित सामाजिक बहिष्कार प्रकरण (Bhatla Dalit Social Boycott Case) में भाटला के दलित (Dalits) ग्रामीणों की पैरवी करने वाली संस्था भाटला दलित संघर्ष समिति (Bhatla Dalit Sangharsh Samiti) के प्रधान बलवान सिंह दहिया का बुधवार सुबह हार्ट अटैक से निधन हो गया.

दिवंगत बलवान सिंह 67 वर्ष के थे तथा अपने पीछे तीन बेटियां व एक पुत्र छोड़ गए हैं. बलवान सिंह के नेतृत्व में भाटला में दलितों के सामाजिक बहिष्कार की लड़ाई बड़ी मजबूत तरीके से लड़ी गई तथा उन्होंने गांव में दलितों के आत्मसम्मान व स्वाभिमान तथा उत्थान की बड़ी लड़ाई लड़ी, जिसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली.

नेशनल अलायन्स फ़ॉर दलित ह्यूमन राइट्स (National Alliance for Dalit Human Rights) के संयोजक रजत कलसन (Rajat Kalsan) ने बलवान सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि बलवान सिंह के निधन से हरियाणा के दलित समाज को बहुत बड़ी क्षति पहुंची है, लेकिन भाटला सामाजिक बहिष्कार प्रकरण की लड़ाई में वह उनकी कमी को महसूस नहीं होने देंगे तथा भाटला के दलितों के आत्मसम्मान व स्वाभिमान की लड़ाई निरंतर जारी रहेगी.

आज गांव भाटला में भाटला दलित संघर्ष समिति के प्रधान बलवान सिंह का अंतिम संस्कार किया गया, जहां पर सैकड़ों लोग मौजूद रहे.

इस मौके पर अजय भाटला, जय भगवान, विकास, सुनील दहित,अमिताभ दहिया, राजकुमार, पवन, जोगीराम,, उमेद, सुरेश, रामबिलास, शेमशेर, ईश्वर, पन्ना, धर्मवीर, शेखर, गुलाब, हरज्ञान जनागल व सैकड़ों अन्य लोग मौजूद थे, जिन्होंने देवेन्द्र आत्मा को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कांशीराम के अनमोल विचार… संयुक्‍त राष्‍ट्र में ‘दलित छात्रा’ ने बढ़ाया ‘भारत का मान’ शूरवीर तिलका मांझी, जो ‘जबरा पहाड़िया’ पुकारे गए खुशखबरी: हर जिले में किसान जीत सकते हैं ट्रैक्‍टर जब कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर वाल्‍मीकि नेताओं ने किया Dr. BR Ambedkar का विरोध सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बीआर आंबेडकर की मुलाकात Dr. Ambedkar Degrees : डॉ. आंबेडकर के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं ‘धनंजय कीर’, जिन्होंने लिखी Dr. BR Ambedkar की सबसे मशहूर जीवनी कांशीराम के अनमोल विचार व कथन जो आपको पढ़ने चाहिए जब पहली बार कांशीराम ने संसद में प्रवेश किया, हर कोई सीट से खड़ा हो गया डॉ. आंबेडकर के पास थीं 35000 किताबें…