जहां एक ओर गरीब-मजदूर लॉकडाउन (Lockdown) में शहरों से इस उम्मीद में अपने गांव-घरों की ओर पैदल पलायन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गांव-देहातों में हालात बेहद बुरे दिख रहे हैं. झारखंड (Jharkhand) के लातेहार (Latehar) जिले का यह मामला हमें बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है.
दरअसल, यहां कथित तौर पर भूख से एक नन्हीं जान ने अपनी माता के सामने दम तोड़ दिया. दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाली इस 5 साल की बच्ची ने पिछले कई दिनों से कुछ नहीं खाया था, क्योंकि परिवार के पास कुछ खाने को नहीं था.
बच्ची के पिता ईंटभट्टा मजदूर हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन में बंद के चलते उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिली. परिवार भुइयां समुदाय से ताल्लुक रखता है.
सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो इस घटना की गवाही देता है. Twitter पर रोड स्कॉलर्ज़ (सामाजिक-आर्थिक अधिकार और संबंधित मुद्दों पर काम करने वाले फ्रीलांस स्कॉलर्स और स्टूडेंट वॉलंटियर्स) की तरफ से जारी वीडियो में यह जानकारी मिली.
जारी वीडियो में वह हेसतु गांव (Hesatu village) में बच्चे के घर गए थे. यहां परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों को दिखाया गया है, जिसमें बताया गया है कि 5 साल की निमनी की भूख से मौत (Starvation) हुई है.
बच्ची की मां कमलावती कहती है, “वह भूख से मर गई.” वीडियो में उन्हें ऐसा कहते सुना जा सकता है. कमलावती आगे कहती हैा कि “उसने 4-5 दिनों से खाना नहीं खाया था. जब खाने के लिए कुछ नहीं है तो हम क्या खा सकते हैं? ” उन्होंने बताया कि गांव प्रधान और अन्य कोई सरकारी मदद उन्हें नहीं मिली.
2/3 Nimani’s mother, Lalawati, was struggling to feed her children in the last 2 months, when her husband Jaglal Bhuiyan was trapped in a brick kiln in Latehar. pic.twitter.com/EsgALVGg8d
— Road Scholarz (@roadscholarz) May 17, 2020
निमनी के पिता जगलाल भुईयां वीडियो में कहते हैं, जब उनकी बच्ची की मृत्यु हुई, वह अपने दो बच्चों के साथ लातेहार के दूसरे हिस्से में ईंट के भट्टे पर काम कर रहे थे. चूंकि उन्हें लॉकडाउन के दौरान कोई मजदूरी नहीं दी गई थी, इसलिए वह पैसे घर भेजने में सक्षम नहीं थे. उनका कहना है कि उनके पास राशन कार्ड तक नहीं है.
3/3 Jaglal Bhuiyan was getting food at the brick kiln, but his wages were being held until the end of the season. He was unable to send any money home. pic.twitter.com/MwJB970hB4
— Road Scholarz (@roadscholarz) May 17, 2020
रिपोर्ट के अनुसार, जिला प्रशासन ने इस घटना की “पुष्टि” करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि भूख से मौत की पर्याप्त जानकारी नहीं है. लातेहार के जिला आयुक्त जीशान क़मर ने कहा, “मैंने जो सुना है, उसके अनुसार बच्ची ने नाश्ता किया और तैरने के लिए पास के तालाब में गई. वह शाम को बेहोश हो गई और मर गई. अगर उसने नाश्ता खाया था, तो यह भूख से मौत कैसे हो सकती है? ”
खाद्य कार्यकर्ता और अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज के अनुसार, वह रविवार को हेसतु गए थे, 10 सदस्यीय परिवार के पास कोई जमीन या राशन कार्ड नहीं है. द्रेज ने कहा कि गांव के मुखिया ने पुष्टि की थी कि 10,000 रुपये आकस्मिक निधि से परिवार को कोई चावल नहीं दिया गया था, जो बिना राशन कार्ड वाले परिवारों के लिए रखा गया है. “उन्होंने कहा कि फंड खत्म हो गया है.”
द्रेज ने कहा, खंड विकास अधिकारी को दूसरी किस्त के लिए अनुरोध किया गया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.