क्या एम्स में जातिगत भेदभाव फैला है? वहां सीनियर डॉक्टर अपने साथी जूनियर डॉक्टरों पर दुर्भावनापूर्ण जातिगत टिप्पणियां करते हैं और उन्हें नीचा दिखाते हैं? पिछले कुछ समय से प्रकाश में आईं ऐसी घटनाओं ने यह सवाल उठाना लाजि़मी हो गया है. हाल में दलित महिला डॉक्टर को फैकल्टी मेंबर सीनियर डॉक्टर द्वारा जातिगत टिप्पणी करते हुए ”तू एससी है. अपना मुंह बंद कर और काली बिल्ली की तरह मेरा रास्ता मत काट’… कहना एम्स में जातिगत भेदभाव को उजागर करता है.
एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स की एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. आदर्श प्रताप सिंह ने दलित आवाज़ डॉट कॉम (dalitawaaz.com) से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए स्वीकारा कि कहीं न कहीं इस प्रतिष्ठित संस्थान में दलित डॉक्टरों को जातिगत भेदभाव का शिकार होना पड़ता है, लेकिन ज्यादातर मामले आवाज़ न उठा पाने के कारण सामने नहीं आ पाते.
डॉ. आदर्श प्रताप सिंह कहते हैं, ‘एम्स में कुछ डॉक्टरों को कहीं न कहीं जातिगत भेदभाव/दलित उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. हालांकि कितने लोग इसके खिलाफ सामने आते हैं, उनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं है. लेकिन समस्या यह है कि जो लोग सामने भी आए हैं, उन्हें भी इंसाफ मिलने में इतना समय लग रहा है’.
डॉ. सिंह ने कहा, ‘समस्या तो है, यह मैं मानता हूं, लेकिन कितने लोग सामने आते हैं… कुछ लोग मजबूरी समझ लेते हैं. समाज में लोगों को भी चाहिए कि वह इस तरह की अपनी समस्याओं को सभी के सामने रखें. और अगर आप पढ़ी-लिखी अच्छी जगहों पर हैं, तो ये सब झेलते रहेंगे तो दमन करने वाले को हिम्मत मिलती रहेगी तो आपको आवाज़ उठानी है और लड़ना है’.
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डॉ. आदर्श ने कहा कि, ‘जैसा बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा है कि ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो’… तो ऐसे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठानी है और लोगों को साथ लेकर आवाज उठानी है और आत्मविश्वास के साथ अपना जीवन जीना है’.