डॉ. आंबेडकर ने भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव की फांसी पर क्‍या लिखा था?

ambedkar janta write up on bhagat singh

साढ़े तेईस साल की उम्र में 23 मार्च 1931 को भगत सिंह (Bhagat Singh) को उनके साथी सुखदेव (Sukhdev) और राजगुरु (Rajguru) के साथ ब्रिटिश सरकार ने फांसी पर चढ़ा दिया. अपने मुल्‍क के लिए हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ने वाले इन तीन युवाओं की शहादत को देश नम आंखों से याद करता है. बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr BR Ambedkar) ने भी इन तीन युवाओं की शहादत पर एक लेख लिख अपने विचार प्रस्‍तुत किए थे, जिसमें उन्‍होंने इनकी फांसी को बलिदान के रूप में रेखाकिंत किया. साथ ही उन्‍होंने लेख में जोर देकर कहा कि तीनों व्यक्तित्व ब्रिटेन की आंतरिक राजनीति का शिकार हुए. उनके साथ जो कुछ हुआ वह न्याय नहीं था, बल्कि अन्याय हुआ था.

डॉ. आंबेडकर (Dr BR Ambedkar) ने अपने संपादकीय में भगत सिंह (Bhagat Singh) की फांसी के संदर्भ में भारत और ब्रिटेन में हुई खुली और गुप्त राजनीति की चर्चा करते हुए लिखते हैं कि गांधी और इर्विन भगत सिंह की फांसी को उम्रकैद में बदलने के हिमायती थे. गांधी ने इर्विन से वादा भी लिया था. लेकिन ब्रिटेन की आंतरिक राजनीति के चलते इन तीनों को फांसी दी गई, ताकि ब्रिटेन की जनता को खुश किया जा सके.

डॉ. आंबेडकर लिखते हैं कि लुब्बोलुआब यही कि जनमत की परवाह किए बगैर, गांधी-इर्विन समझौते का क्या होगा, इसकी चिंता किए बिना विलायत के रूढ़िवादियों के गुस्से का शिकार होने से अपने आप को बचाने के लिए, भगत सिंह आदि की बलि चढ़ाई गई. यह बात अब छिप नहीं सकेगी और यह बात सरकार को पक्के तौर पर मान लेनी चाहिए.

जिंदगी के आखिरी चंद मिनटों में जब भगत सिंह ने कहा था-दो संदेश साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और…

डॉ. आंबेडकर उन आरोपों का जिक्र भी करते हैं, जिनके तहत इन तीन लोगों को फांसी दी गई. इसके साथ ही वह तीनों शहीदों की बहादुरी की चर्चा भी करते हैं और कहते हैं कि भगत सिंह की अंतिम इच्छा फांसी की जगह गोली से उड़ा देने की थी, लेकिन वह भी पूरी नहीं की गई.

बाबा साहब लिखते हैं कि इन तीनों में से किसी ने भी ‘हमारी जान बख्श दें’ ऐसी कोई दया की अपील नहीं की थी. हां, ऐसी खबर अवश्‍य सामने आईं कि भगत सिंह ने फांसी की सूली पर चढ़ाने के बजाए गोलियों से उड़ा दिए जाने की इच्‍छा व्‍यक्‍त की थी, लेकिन उनकी इस आखिरी इच्छा का भी सम्मान नहीं किया गया.’

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कांशीराम के अनमोल विचार… संयुक्‍त राष्‍ट्र में ‘दलित छात्रा’ ने बढ़ाया ‘भारत का मान’ शूरवीर तिलका मांझी, जो ‘जबरा पहाड़िया’ पुकारे गए खुशखबरी: हर जिले में किसान जीत सकते हैं ट्रैक्‍टर जब कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर वाल्‍मीकि नेताओं ने किया Dr. BR Ambedkar का विरोध सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बीआर आंबेडकर की मुलाकात Dr. Ambedkar Degrees : डॉ. आंबेडकर के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं ‘धनंजय कीर’, जिन्होंने लिखी Dr. BR Ambedkar की सबसे मशहूर जीवनी कांशीराम के अनमोल विचार व कथन जो आपको पढ़ने चाहिए जब पहली बार कांशीराम ने संसद में प्रवेश किया, हर कोई सीट से खड़ा हो गया डॉ. आंबेडकर के पास थीं 35000 किताबें…