Bhadohi : भदोही में दलित ट्रैक्टर ड्राइवर की मॉब लिंचिंग, जयशंकर पांडेय गिरफ्तार

Mob lynching of Dalit tractor driver in Bhadohi father of deceased said my son was tied to tree and killed

भदोही : (Dalit Atrocities in India) उत्‍तर प्रदेश के भदोही जिले के कोइरौना इलाके (Koirauna area of Bhadohi district of Uttar Pradesh) में शुक्रवार को एक दलित ट्रैक्टर चालक की मॉब लिंचिंग का मामला सामने आया है. भदोही में भीड़ ने दलित ट्रैक्‍टर चालक की कथित रूप से पीट-पीटकर हत्या (Mob lynching of Dalit tractor driver in Bhadohi) कर दी. पुलिस ने इस मामले में एक नामजद और तीन अज्ञात सहित चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

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पुलिस अधीक्षक डाक्टर अनिल कुमार ने बताया शुक्रवार शाम करीब सात बजे कोइरौना थाना इलाके (Koirauna Police area) के बेरवा पहाड़पुर गांव (Berwa Paharpur Village) में नशे की हालत में तेज़ रफ़्तार ट्रैक्टर पर पुवाल लाद कर जा रहा मुंशी गौतम (30) एक स्पीड ब्रेकर पर संतुलन कायम नहीं रख सका और ट्रैक्टर एक साईकिल सवार पर चढ़ गया.

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उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद मुंशी गौतम ने और तेज रफ्तार से ट्रैक्टर चलाया तो वह अनियंत्रित होकर एक पेड़ से जा टकराया इस दौरान गौतम नीचे गिर गया तभी उसका पीछा कर रही भीड़ ने उसे पीटना शुरू कर दिया. कुमार के अनुसार उसे घायल हालत सामुदायिक स्वाथ्य केंद्र ले जाया गया जहाँ डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

पुलिस अधीक्षक ने बताया इस मामले में जय शंकर पांडेय और तीन अज्ञात की खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया और जय शंकर पांडेय को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि अन्य की तलाश की जा रही है.

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मृतक मुंशी गौतम के पिता चंद्रजीत गौतम ने आरोप लगाया है कि भीड़ ने उसके बेटे को पेड़ से बाँधकर पीटा, जिससे उसकी मौत हुई. पुलिस अधीक्षक ने पेड़ से बाँध कर पीटे जाने की बात से इंकार किया है.

क्या है लिंचिंग का मतलब (What is the meaning of lynching)?
अगर लिंचिंग की बात करें तो जब एक भीड़ किसी व्यक्ति को किसी अपराध के आरोप में बिना किसी कानूनी ट्रायल के सजा देती है और उस व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उस लिंच कहते हैं. इसमें पुलिस, कानून व्यवस्था शामिल नहीं होती है और भीड़ एक व्यक्ति को किसी आरोप में बिना पड़ताल के ही मार देती है तो इसे लिंचिंग कहा जाता है. वहीं, अगर इसमें भीड़ का बड़ा हिस्सा होता है तो इसे मॉब लिंचिंग कहा जाता है. लिंचिंग हमेशा पब्लिक प्लेस में ही होती है.

खास बात ये है कि लिचिंग शब्द का जिक्र आईपीसी और सीआरपीसी में नहीं किया गया है और ना ही संविधान में इस शब्द को लेकर विशेष व्याख्या की गई है. सीआरपीसी का सेक्शन 223 इससे संबंधित है, जिसमें एक अपराध को लेकर एक से ज्यादा व्यक्ति पर आरोप लगाया जाता है. पहले मॉब लिंचिंग की कोई सजा तय नहीं थी और केस के आधार पर निर्धारित की जाती थी.

Mob lynching of Dalit tractor driver in Bhadohi

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